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वेन्टीलेटर नहीं दे पा रहे टूटती सांसों को सहारा

locationकरौलीPublished: May 12, 2021 09:17:14 am

Submitted by:

Surendra

वेन्टीलेटर नहीं दे पा रहे टूटती सांसों को सहारा
एक दर्जन वेन्टीलेटर तो हुए कबाड,जो संचालित उनको प्रेशर से नहीं मिलती ऑक्सीजन
करौली जिला चिकित्सालय में कोविड संक्रमण के संकटकाल में मरीजों की उखड़ती सांसों के लिए उपलब्ध वेन्टीलेटर सहारा नहीं बन पा रहे हैं। यहां के जिला चिकित्सालय में 12 वेन्टीलेटर तो अनुपयोगी हालत में पड़े हैं। जो संचालित बताए जा रहे हैं, उनकी स्थिति भी केवल दिखावे की है। इसका कारण यह है कि इनको संचालित करने वाले नर्सेज स्टाफ नहीं है।

वेन्टीलेटर नहीं दे पा रहे टूटती सांसों को सहारा

वेन्टीलेटर नहीं दे पा रहे टूटती सांसों को सहारा

वेन्टीलेटर नहीं दे पा रहे टूटती सांसों को सहारा

एक दर्जन वेन्टीलेटर तो हुए कबाड,
जो संचालित उनको प्रेशर से नहीं मिलती ऑक्सीजन
प्रशिक्षित नर्सेज स्टाफ का भी है टोटा

करौली जिला चिकित्सालय में कोविड संक्रमण के संकटकाल में मरीजों की उखड़ती सांसों के लिए उपलब्ध वेन्टीलेटर सहारा नहीं बन पा रहे हैं। यहां के जिला चिकित्सालय में 12 वेन्टीलेटर तो अनुपयोगी हालत में पड़े हैं। जो संचालित बताए जा रहे हैं, उनकी स्थिति भी केवल दिखावे की है।
चिकित्सालय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिला चिकित्सालय में वर्ष 2012 में शुरू हुए आईसीयू वार्ड (गहन चिकित्सा इकाई) से पहले से चिकित्सालय में 6 वेन्टीलेटर उपलब्ध थे। इनका कभी उपयोग नहीं हुआ। आईसीयू वार्ड शुरू होने पर शोपीस बतौर इनको पलंगों के पास में रख दिया गया लेकिन काम में कोई भी नहीं आया। सूत्र बताते हैं कि ये सभी वेन्टीलेटर अब कबाड बन चुके हैं। सम्बन्धित फर्म ने भी इनको सुधारने से मना कर दी है।
सरकार में बेपरवाही का आलम ऐसा है कि इन वेन्टीलेटरों के उपयोग की स्थिति और इनके उपयोग में नहीं आने का कारण जाने बिना पांच साल पहले पीएम केयर फंड से 10 बड़े और 2 छोटे वेन्टीलेटर और भेज दिए। इनमें से भी 6 बड़े वेन्टीलेटर अभी उपयोग में नहीं आ रहे हैं। इनके लिए सम्बन्धित कम्पनी से तकनीशियनों को बुलावा भेजा है।
फिलहाल की परिस्थिति में छोटे वेन्टीलेटरों को सुविधाजनक मानते हुए ऑपरेशन थियेटर, ट्रोमा आदि कक्षों से भी तीन छोटे वेन्टीलेटरों को कोविड वार्ड में मंगाया गया है। प्रमुख चिकित्सा अधिकारी पांच छोटे सहित 10 वेन्टीलेटरों के उपयोग में आने का दावा करते हैं। हालांकि हकीकत उनके दावे के विपरीत ही है।
निर्बाध ऑक्सीजन बिना फांकते रहे धूल

वेन्टीलेटरों के उपयोग की हकीकत यह है कि जिला चिकित्सालय में कोविड मरीजों के उपचार में वेन्टीलेटरों का उपयोग महज दिखावा है। इसका कारण यह है कि इनको संचालित करने वाले नर्सेज स्टाफ नहीं है। कोविड संक्रमण काल से पहले इनके उपयोग में नहीं ले पाने का एक कारण भी यह था कि इनके संचालन के लिए प्रशिक्षित स्टाफ नहीं था। अब कोरोना मरीजों के उपचार में इनकी जरूरत पड़ी तो आनन-फानन में दो चिकित्सकों संतोष मीणा तथा कैलाश मीणा को इनके संचालन का प्रशिक्षण लेने भरतपुर भेजा गया।
जानकार बताते हैं कि वेन्टीलेटरों का उपयोग सिलेण्डरों के जरिए से नहीं किया जा सकता। इसका कारण यह है कि वेन्टीलेटर के संचालन को प्रेशर से ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। इसलिए से इनको काम में पहले करौली में ऑक्सीजन की निर्बाध सप्लाई उपलब्ध नहीं थी। ऐसे में ये वेन्टीलेटर धूल फांकते रहे। ऑक्सीजन प्लांट के दो माह पहले शुरू होने पर प्रेशर से ऑक्सीजन उपलब्धता की उम्मीद बनी थी लेकिन कोविड मरीजों की अधिक संख्या के कारण ऑक्सीजन की मांग भी बढ़ गई। ऐसे में अभी भी इन वेन्टीलेटरों के लिए प्रेशर से ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो पा रही है। बताया गया है कि मात्र 2 लीटर प्रति मिनट के फ्लो से ऑक्सीजन सप्लाई हो रही है। ऐसे में ऐसे में कोविड मरीजों के उपचार में वेन्टीलेटर महज दिखावा साबित हो रहे हैं।
ऑक्सीजन का प्रेशर है कम

भरतपुर से वेन्टीलेटर संचालन का प्रशिक्षण लेकर लौटे डॉ. कैलाश मीणा बताते हैं कि वेन्टीलेटर के लिए 50 लीटर प्रति मिनट की गति से ऑक्सीजन सप्लाई मिलनी चाहिए। चूंकि इन दिनों चिकित्सालय में कोविड के भर्ती मरीजों की संख्या ज्यादा है जिनको ऑक्सीजन की अधिक जरूरत भी है। ऐसे में प्लांट से ऑक्सीजन की सप्लाई 2 से 5 लीटर प्रतिमिनट तक ही हो पा रही है। इसलिए इनके संचालन में कठिनाई आ रही है। आपात स्थिति में बड़े सिलेण्डरों से छोटे वेन्टीलेटर संचालित करते हैं।
डॉ. मीणा यह भी कहते हैं कि कोविड संक्रमण में लंग्स के अधिक संक्रमित हो जाने पर वेन्टीलेटर भी अधिक मददगार नहीं हो सकते।
मिनी प्लांट की बना रहे योजना

ऑक्सीजन प्रेशर की समस्या तो है लेकिन आपात स्थिति में वेन्टीलेटरों का उपयोग बड़े सिलेण्डरों से और लाइन में प्रेशर बढ़ाने का जतन करके करते हैं। अभी 10 वेंटीलेटर चालू हैं। अन्य को सही कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। हॉस्पीटल में ऑक्सीजन प्लांट लगाने के दौरान ऐसी आपदा की उम्मीद नहीं थी। कोविड मरीजों के कारण ऑक्सीजन की मांग अधिक बढऩे से यह नौबत आई है। अब जल्दी ही एक मिनी ऑक्सीजन प्लांट और लगाने की योजना है, जिससे वेन्टीलेटरों के संचालन की समस्या का काफी हद तक समाधान हो सकेगा।
डॉ. दिनेश गुप्ता, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, जिला चिकित्सालय, करौली

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