करौली

फसल बर्बादी का जख्म दे गया कोटा से आया पानी

फसल बर्बादी का जख्म दे गया कोटा से आया पानी4 पंचायतों में 3 हजार हेक्टयेर में बोई फसल नष्टकिसानों के निकल रहे आंसू
कोटा बैराज से चम्बल नदी में आफत बन आया पानी तो गुजर गया लेकिन करौली जिले में करणपुर क्षेत्र में चम्बल किनारे बसे ग्रामीणों को दर्द दे गया। वे आस लगाए थे कि वर्षा आएगी तो खेत-खलिहान में फसल लहलाएगी । वर्षा तो आई लेकिन फसल चौपट करते हुए जख्म दे गई। कोटा से पानी छोड़े जाने से चम्बल नदी में आए जल प्रवाह से नष्ट हुई फसल को देख वे अब आंसू बहा रहे हैं।

करौलीAug 05, 2021 / 08:17 pm

Surendra

फसल बर्बादी का जख्म दे गया कोटा से आया पानी

फसल बर्बादी का जख्म दे गया कोटा से आया पानी
4 पंचायतों में 3 हजार हेक्टयेर में बोई फसल नष्ट
किसानों के निकल रहे आंसू
रमेश दीक्षित – सुरेन्द्र चतुर्वेदी

करणपुर (करौली) कोटा बैराज से चम्बल नदी में आफत बनकर आया पानी तो गुजर गया लेकिन करौली जिले में करणपुर क्षेत्र में चम्बल नदी किनारे बसे ग्रामीणों को दर्द दे गया है। वे आस लगाए थे कि वर्षा आएगी तो खेत-खलिहान में फसल लहलाएगी और खुशियां बिखरेंगी। वर्षा तो आई लेकिन फसल को चौपट करते हुए उन्हें जख्म दे गई।
यह व्यथा है करणपुर क्षेत्र के उन किसानों की जो चम्बल किनारे के गांवों में बसे हैं। कोटा बैराज से पानी छोड़े जाने से चम्बल नदी में आए जल प्रवाह से नष्ट हुई फसल को देख वे अब अपनी किस्मत पर आंसू बहा रहे हैं। चम्बल नदी में इस बार जैसा जल स्तर 25 वर्ष बाद पहुंचा था। इससे करणपुर इलाके की 4 पंचायतों के लगभग एक दर्जन गांवों में 3 हजार हेक्टेयर भूमि में बोयी फसल के चौपट होने का अनुमान है।
क्षेत्र के किसानों ने तिल्ली, बाजरा, मूंग, उड़द, सोयाबीन की फसल बोयी थी। कुछ ने तो ब्याज पर रुपए उधार लेकर महंगा हाइब्रिड बीज तक खरीदा। उनको अब फसल बर्बाद होने के दर्द के साथ उधारी की रकम चुकाने की चिंता सता रही है। इतना ही नहीं घरों में भर गए पानी से संग्रह करके रखा अनाज और खाद्य सामग्री या तो बह गई या फिर खराब हुई है। ऐसे में अनेक परिवारों को तो रोटी के लाले पड़ गए हैं। क्षेत्र में बिजली के पोल क्षतिग्रस्त होकर पानी में गिरने से सात दिन से बिजली भी नहीं है। इस कारण जिन घरों में अनाज सुरक्षित रखा भी है तो उसकी पिसाई नहीं हो पा रही है। घरों में गुरुवार को पानी कुछ कम हुआ तो पीडि़त ग्रामीणों ने सबसे पहले खाना पकाने के लिए दाल-आटा, चावल, तेल-मसाले आदि सामान का प्रबंध किया।
ग्रामीणों का दर्द

टोडा के राजाराम मीना, महाराजपुरा के रामफूल गुर्जर बताते है कि बीते पांच दिन संकट भरे गुजरे। लेकिन मदद के लिए तरसते रहे। सरकारी कार्मिकों का ध्यान केवल इस पर था कि कोई डूब न जाए। हमारी भूख -प्यास की चिंता किसी को नहीं थी। बीरमकी गांव के धरमसिंह गुर्जर के अनुसार हम रात भर जागकर फसल की बर्बादी और घर के सामान को खराब होते देखते रहे। कर भी क्या सकते थे। घूंसई के रघुवीर मीणा ने बताया कि चम्बल का जो पानी आया है वो खेतों में फसल को ऐसी करके गया है मानो किसी ने आग लगाई हो। क्षारीय पानी होने खेतों में कालापन छाया है। चौरघान के रामलखन मीना के अनुसार अभी गांव के खेतों से पानी कम हुआ नहीं है। खेत दरिया बने हैं और फसल सड़ गई है।
सरकार से कर रहे आस

यूं तो अभी फसल के नुकसान का सरकारी आकलन किया जाना है लेकिन राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार करणपुर में 888 हैक्टेयर , टोडा पंचायत क्षेत्र में 654 हैक्टेयर, नानपुर में 1102 हैक्टेयर, महाराजपुरा पंचायत क्षेत्र में 439 हैक्टेयर भूमि पर विभिन्न फसलों को तैयार किया जा रहा था। इन चारों पंचायतों में 3 हजार हेक्टेयर भूमि में बोई फसल नष्ट हुई है। इसकी कीमत करोड़ों रुपए में होती है। खास बात यह है कि डांग इलाके के इन गांवो के अशिक्षित किसानों ने फसल बीमा भी नहीं कराया हुआ था। अब इनको अपने जख्मों पर मरहम की उम्मीद केवल सरकारी सहायता पर ही टिकी हुई है। पीडि़त किसानों ने नुकसान के सर्वे और मुआवजे की मांग का ज्ञापन नायब तहसीलदार को सौंपा है।
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