मोल का खरीद कर पी रहे पानी स्थानीय कस्बे सहित दलपुरा, धडांगा, तिमावा मोहनपुरा, कमलपुरा, ढहरिया, भांवरा, मांचड़ी, लालसर, पाल, गढ़मोरा आदि गांव में पानी की भयंकर किल्लत मची हुई है। इस कारण लोग पानी खरीद कर अपनी प्यास बुझा रहे हैं। लोगों ने घर घर में कैंपर लगवा रखे हैं। इसके लिए उनको 500 से 1000 रुपए महीने खर्च करने होते हैं। करीब 18 वर्ष पहले स्वीकृत हुई चंबल परियोजना का पानी भी लोगों के हलक में नहीं उतर पाया।
चारे के अभाव में पशुपालन पर संकट माड़ क्षेत्र में इस वर्ष पर्याप्त बारिश के नहीं होने से पशुओं का चारा गेहूं के बराबर में बिक रहा है। इससे पशुपालन पर संकट खड़ा हो गया है। पशुपालक अपने पशुओं को औने पौने दामों में बेच रहे हैं। दूसरी ओर चारे के अभाव में गोवंश भटक रहा है। पहाड़ी क्षेत्र में विचरण करने वाला गोवंश चारे के अभाव में अपना दम तोड़ रहा है। वर्तमान में चारे का भाव 700 से लेकर 800 मण तक मिल रहा है।
चारा डिपो की दरकार
भाजपा मंडल महामंत्री ममता गोयल, किसान नेता राधेश्याम मीना, शिवलाल मीणा आमली पुरा, पूर्व सरपंच राम खिलाड़ी मीणा, रमेश पटेल घाटोली आदि ने बताया कि इस वर्ष पर्याप्त बारिश के नहीं होने से माड़ क्षेत्र में वर्तमान में अकाल के हालात बने हुए हैं। पशुपालकों को चारा नहीं मिल पा रहा है। पानी के लिए लोग दर-दर भटक रहे हैं। पशुपालकों के लिए दुधारू पशुओं को भी बचा पाना मुश्किल हो रहा है। आवारा पशु जंगल व पहाडिय़ों में चारे पानी का अभाव में दम तोडऩे की कगार पर पहुंच गये है। ऐसे में क्षेत्र में सरकार को चारा डिपो खोलना चाहिए। जिससे पशुओं की जान को बचाया जा सके।