scriptबिना द्रोणाचार्य नहीं मिलते खेलों के गुर | Without Dronacharya, sports tricks are not available | Patrika News

बिना द्रोणाचार्य नहीं मिलते खेलों के गुर

locationकरौलीPublished: Dec 14, 2019 12:53:20 am

Submitted by:

Dinesh sharma

करौली. विभिन्न खेलों की बारीकियों का गुर सीखकर खेल जगत में ऊंचाई छूने की जिले की खिलाडिय़ों की हसरत अधूरी रहती है।

बिना द्रोणाचार्य नहीं मिलते खेलों के गुर

बिना द्रोणाचार्य नहीं मिलते खेलों के गुर

करौली. विभिन्न खेलों की बारीकियों का गुर सीखकर खेल जगत में ऊंचाई छूने की जिले की खिलाडिय़ों की हसरत अधूरी रहती है। असल में जिला मुख्यालय का स्टेडियम कोच विहीन है। यहां खेलों के पर्याप्त संसाधन भी उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में विभिन्न खेलों में रुचि रखने वाले खिलाड़ी प्रतियोगिताओं में भाग नहीं ले पाते।
इससे उन्हें मायूसी होती है। अपने बलबूते ही अभ्यास कर अपने खेल का हुनर सीखने को मजबूर हैं। विशेष बात यह है कि राज्य सरकार ने करौली जिला मुख्यालय पर कबड्डी अकेडमी की सौगात भी दी हुई है, लेकिन इस खेल के खिलाडिय़ों को भी दो वर्ष से स्थायी कोच का इंतजार बना हुआ है।
इन खेलों में नहीं कोच
बॉलीवाल-बैडमिंटन, कुश्ती, सॉफ्टबॉल, एथलेक्टिस आदि के लिए तो कोई कोच है ही नहीं। खेलों के कोच नहीं हो पाने के कारण खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण नहीं मिल पाता। ऐसे में खेलों के बूते आगे बढऩे की ललक रखने वाले खिलाड़ी मन मसोसकर ही रह जाते हैं। वहीं प्रशिक्षण के अभाव में कई खिलाड़ी तो प्रतियोगिताओं में भाग ही नहीं ले पाते हैं। हालांकि हाल ही में जिला खेल विभाग की ओर से स्पोर्टस कांससलिंग को बॉलीवाल कुश्ती, सॉफ्टबॉल, एथलेक्टिस, हैण्डबॉल आदि खेलों के लिए कोच लगाने की दरकार जताते हुए पत्र भेजा गया है।
हॉकी-हैण्डबॉल के लिए नहीं स्थायी
जिला मुख्यालय पर हॉकी-हैण्डबॉल खेलों की भी कुछ ऐसी ही स्थिति बनी हुई है। हालांकि कबड्डी के अलावा जिले में अन्य कोई खेल एकेडमी नहीं है।

यहां हॉकी, हैण्डबॉल के भी स्थायी कोच नहीं है। ऐस में इन खेलों के प्रशिक्षण के लिए भी प्लेसमेंट एजेंसी के प्रशिक्षकों से काम चलाया जा रहा है। वे नियमित रूप से नहीं रहते। प्लेसमेंट एजेंसी के कार्य की अवधि पूरी होते ही ये प्रशिक्षक भी चले जाते हैं। इससे कई-कई माह से इन खेलों के खिलाडिय़ों को खेलों का प्रशिक्षण लेने से वंचित रहना पड़ जाता है।
कबड्डी अकेडमी को भी नहीं लग रहे पंख
करौली में वर्ष 2011 में कबड्डी अकेडमी की सौगात मिली थी। इससे यहां कबड्डी को बढ़ावा मिलने की उम्मीद थी। अकेडमी का संचालन मुंशी त्रिलोकचन्द माथुर स्टेडियम में शुरू किया गया। इससे खिलाडिय़ों को कबड्डी की बारिकियां सीखने का अवसर भी मिला। करौली जिला ही नहीं प्रदेश के विभिन्न जिलों के कबड्डी खिलाडिय़ों का प्रतिवर्ष यहां अकेडमी में दाखिला होता रहा है।
वर्तमान सत्र में अकेडमी में प्रदेश के चूरू, अजमेर, बीकानेर, जयपुर, नागौर, करौली आदि जिलों के 16 खिलाड़ी हैं। लेकिन समस्या यह है कि फरवरी 2018 से अकेडमी में कोच ही नहीं हैं। हालांकि प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए एक प्रशिक्षक को लगाया हुआ है, लेकिन समस्या यह है कि जब प्लेसमेंट एजेंसी का कार्यकाल पूरा हो जाता है, तो अकेडमी के खिलाड़ी बिना प्रशिक्षक के ही रह जाते हैं।
आवश्यकतानुसार करते हैं व्यवस्था
कबड्डी अकेडमी सहित अन्य खेलों के कोच नहीं है। कबड्डी अकेडमी में पार्टटाइम कोच लगाया हुआ है। इसके अलावा आवश्यकतानुसार अन्य स्थानों से कोच बुला लेते हैं। हालांकि रेगुलर कोच हो तो सुविधा मिल सकती है।
सत्यप्रकाश लुहाच, कार्यवाहक जिला खेल अधिकारी, करौली
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो