९० फीसदी गांवों में पानी का अभाव
नादौती तहसील में २९ पंचायतों को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है। लेकिन ९० फीसदी गांवों में पानी की कमी के चलते बने अधिकांश शौचालय शो-पीस साबित हो रहे है। शौचालय में पानी की व्यवस्था नहीं होने से कई जगह लोग अभी भी खुले में शौच जाते है। लोगों का कहना है कि सरकार के दबाब में विभागीय अधिकारियों ने पंचायतों में आनन-फानन में शौचालयों का निर्माण तो करा दिए, लेकिन पानी की व्यवस्था नहीं की। पानी के अभाव में शौचालय की टंकियां खाली पड़ी है।
बूंद-बूंद पानी को तरसते लोग
तहसील के अधिकांश गांवों में लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। काफी दूर दूर से पानी लाकर प्यास बुझाते हैं। ऐसे में शौचालय के लिए पानी की व्यवस्था करना मुश्किल हो जाता है। जिससे लोग खुले में ही शौच जाते हैं।
स्नान घर व कबाड़घर बने शौचालय
ग्रामीण क्षेत्रों में बने अधिकांश शौचालय स्नानाघर व कबाड़घर बनने के साथ स्टोररूम बने हुए है। अधिकांश शौचालयों में लोगों ने शीट को पट्टी से ढककर स्नानाघर व बर्तन धोए जा रहे है। तो कई लोगों ने भूसा, सूखी लकड़ी व कबाड़ का सामान भर रखा है। वही लोगों ने भूसा व अनाज के कट्टे भी भर रखे है।
प्रति व्यक्ति औसतन ५-७ लीटर पानी की जरूरत
शौचालय के लिए प्रत्येक व्यक्ति को औसतन प्रतिदिन ५-७ लीटर पानी की आवश्यकता होती है। यदि परिवार में ५ सदस्य है तो प्रतिदिन कम से कम३० लीटर पानी तो शौचालय के उपयोग के लिए चाहिए। जबकि इतना पानी तो अन्य जरूरतों के लिए ही नहीं मिल पाता है।
ग्रामीण ढहरिया निवासी रामरूप मीना, तिमावा निवासी रामखिलाड़ी मीना, मांचड़ी निवासी सियाराम गुर्जर, हुकम सिंह आदि ने बताया कि पानी के अभाव में शौचालयों का लाभ नहीं मिल पा रहा है।