बीते वर्षों वर्ष पर्याप्त बारिश नहीं होने से जगर बांध में विंगवाल और वेस्टवीयर से लेकर दूर तक पेटा सूखा है। बांध में गेज के जीरो निशान पर पानी की बजाए रेत जमा है। इसके चलते लोग अब जल संकट से आशंकित रहने लगे हैं।
जलसंसाधन विभाग के अभियंताओं के अनुसार सरकारी तौर पर 15 जुलाई से शुरू हुए मानसूनी सीजन के समय बांध में मात्र 8 फीट 7 इंच पानी था। जुलाई माह के अंंतिम व अगस्त के द्वितीय सप्ताह में इलाके में बारिश होने से से 6 अगस्त को जलभराव का स्तर बढ़ कर 9 फीट 6 इंच हो गया। यानी झमाझम बारिश होने के दिनों में बांध के पेटे के गेज में एक फीट का ही इजाफा हो सका।
बांध की पाल तक कभी पानी हिलोरें मारता था। लेकिन सावन में महीने में भी पाल से दूर तक बांध का पेटा सूखा है। बांध के सूखे पेटे में हो कर आसपास के गांवों के लोगों का अस्थाई रास्ता बन गया है। कार, ट्रैक्टर सहित दिनभर दुपहिया व चौपहिया वाहन बांध के पेटे से आवाजही करते हैं।
आजादी के बाद वर्ष 1957 में 88 वर्ग मील क्षेत्र में मिट्टी की पाल से जगर बांध का निर्माण किया गया था। उस दौरान बांध की भराव क्षमता 27 फीट रखी गई थी। वर्ष 1967 में पर्याप्त बारिश होने पर पाल से तीन फीट ऊपर यानी 30 फीट पर बांध पर चादर चली थी। उस समय बांध की भराव क्षमता 27 फीट थी। जिसे वर्ष 2004 में ऊंचा कर 30 फीट किया गया।
इनका कहना है
गत वर्ष भी बारिश कम हुई थी। इस वर्ष भी आधा मानसूनी सीजन निकलने पर कमाण्ड एरिया में बारिश नहीं हुई। जगर बांध में मात्र 10 फीट पानी है।
शिवराम मीणा, सहायक अभियंता, जल संसाधन विभाग, हिण्डौनसिटी
जगर बांध की भराव क्षमता- ——–30 फीट
कैचमेंट एरिया – ———————227.80 वर्ग किलोमीटर
नहरों की लम्बाई———————-44 किलोमीटर
सिंचाई के गांव————————- 26
सिंचाई क्षेत्रफल- ———————–4445 हैक्टेयर भूमि
बांध में जल भराव की स्थति
वर्ष—————— गेज
2016 ————–26 फीट 6इंच
2017 —————15 फीट 6 इंच
2018—————- 17 फीट 6 इंच
21019 —————-10 फीट