करनाल

चुनावी रण में दलबदलुओं के सहारे भाजपा व जजपा!

Haryana: प्रदेश के 90 में से तीस हलकों में किस्मत आजमा रहे दलबदलू, 13 को इनेलो तो 12 को कांग्रेस छोडने पर मिली टिकट

करनालOct 06, 2019 / 05:58 pm

Chandra Prakash sain

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चंडीगढ़. राजनीति में आस्थाएं समय के अनुसार बदलती रहती हैं। राष्ट्रीय स्तर पर हरियाणा की चर्चा आया राम गया राम की राजनीति के रूप में होती है। प्रदेश में लंबे समय के अंतराल के बाद इस समय हो रहे चुनाव सबसे अधिक दलबदल हुआ है। कोई समय था जब ताऊ देवीलाल और चौधरी भजनलाल की राजनीतिक दलबदल के साथ प्रसिद्ध हुई थी। लंबे समय के अंतराल के बाद मनोहर लाल सरकार में सबसे अधिक बदल हुआ है। हरियाणा के चुनावी रण में इस बार 90 में से तीस विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां प्रमुख राजनीतिक दलों ने दलबदल के बाद नेताओं को चुनावी रण में उतारा है।

इस मामले में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी पूरी तरह से जोखिम मोल ले रही हैं। प्रदेश में इस बार भाजपा ने दलबदल करके भाजपा में शामिल हुए 15 नेताओं को चुनावी रण में उतारा है। भाजपा ने इस बार इनेलो से आए पूर्व विधायक परमेंद्र सिंह ढुल, जाकिर हुसैन, राजवीर बराड़ा, लीला राम गुर्जर, रामकुमार कश्यप, रामचंद्र कंबोज, रणबीर गंगवा, सतीश नांदल, नसीम अहमद, नगेंद्र भड़ाना, जगदीश नैय्यर को चुनावी रण में उतारा हुआ है।

सार्वजनिक कार्यक्रमों के दौरान भाजपा को भले ही कांग्रेस से परहेज हो लेकिन भाजपा ने हांसी, फतेहाबाद व सफीदों में चुनावी नैया पार लगाने के लिए कांग्रेसियों को ही चुना है। भाजपा ने कांग्रेस छोडक़र आए विनोद भयाना, दूड़ा राम तथा बचन सिंह आर्य को भगवा थमाकर चुनाव मैदान में उतारा है। पंजाब में लंबे समय से अकाली दल के सहारे सत्ता की सीढी चढ़ रही भाजपा ने हरियाणा में अकाली दल के एक मात्र विधायक को तराजू से हटाकर कमल थमाया और चुनावी रण में उतार दिया।
दलबदलुओं को टिकट देकर उनके सहारे अपनी राजनीति को मजबूत करने के मामले में भाजपा के बाद दूसरा नाम जननायक जनता पार्टी का आता है। इनेलो के दो फाड़ होने के बाद अस्तित्व में आई जजपा इस चुनाव में पहली वैकल्पिक पार्टी के रूप में उभरी है। कांगे्रस और भाजपा में जिसे टिकट नहीं और वह चुनाव लडऩे की तैयारी में था उसने जननायक जनता पार्टी के बैनर को स्वीकार किया। चुनाव परिणाम चाहे कुछ भी हों लेकिन इस चुनाव में जननायक जनता पार्टी एक वैकल्पिक पार्टी के रूप में स्थापित हो गई है।
जजपा ने टोहाना से कांग्रेस के प्रबल दावेदार देवेंद्र बबली, जींद से महावीर गुप्ता, गुलहा से ईश्वर सिंह, कलायत से सतविंदर राणा, गन्नौर से रणधीर मलिक, बरौदा से भूपिंदर मलिक, नूंह से अमन अहमद, भिवानी से शंकर भारद्वाज, अटेली से सम्राट भारद्वाज को जजपा ने चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस ही नहीं भाजपा के नेताओं ने भी जजपा को विकल्प के रूप में चुना है। फतेहाबाद से डॉ.वीरेंद्र सिवाच भाजपा के प्रबल दावेदार थे लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला तो जजपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी बना दिया। इसी तरह से अंबाला छावनी से गुरपाल सिंह माजरा, खरखौदा से पवन खरखौदा को जजपा ने भाजपा छोडऩे के बाद चुनावी रण में उतारा है।
इसी तरह से पंचकूला से आम आदमी पार्टी नेता अजय गौतम ने पार्टी छोड़ी और जजपा में शामिल हुए तो जजपा ने उन्हें प्रत्याशी घोषित कर दिया। दलबदल करने वाले नेताओं की तीसरी व अंतिम पसंद कांग्रेस भी रही है। कुरूक्षेत्र से इनेलो के प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने इनेलो को छोडक़र कांग्रेस में अपना भविष्य सुरक्षित समझा और कांग्रेस ने उन्हें अपना अधिकारिक प्रत्याशी घोषित कर दिया। इसी तरह कालका से पूर्व विधायक प्रदीप चौधरी ने इनेलो छोड़ी और कांग्रेस ने उन्हें लपक लिया।

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