इसी मुद्दे पर कांग्रेस विधायक एवं पूर्व स्पीकर रघुवीर सिंह कादयान ने भी आपत्ति जताते हुए कहा कि भाजपा ने हरियाणा के इतिहास में पहली बार नियमों का उलंघन करते हुए राज्यपाल के अभिभाषण में पार्टी की नीतियों का जिक्र किया है। इसी मुद्दे पर कांग्रेस व इनेलो के कई विधायकों ने सरकार को घेरने का प्रयास किया।
संसदीय कार्यमंत्री प्रो.रामबिलास शर्मा ने कहा कि राज्यपाल के बारे में तंजपूर्ण बातें करना सदन की मर्यादा के खिलाफ है। अभिभाषण को पढ़ा हुआ मान लेने की पुरानी परंपरा है। डिप्टी स्पीकर संतोष यादव ने भी इस बात पर मुहर लगाई। इस पर भी जब विवाद शांत नहीं हुआ ,तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने खुद मोर्चा संभालते हुए कहा कि राज्यपाल ने साफ कहा है कि यह सरकार की नीतियों के प्रति जनता का विश्वास है कि सरकार को पांच नगर निगमों और जींद उपचुनाव में जीत हासिल हुई।
अभय ने फिर सवाल दागते हुए कहा, सरकार यह स्पष्ट करे कि अभिभाषण सरकार का था या फिर भारतीय जनता पार्टी का। वह राज्यपाल हैं, किसी पार्टी के प्रचारक नहीं। सीएम ने फिर कहा कि राज्यपाल ने जो भी कहा वह सरकार के बारे में कहा और जनता से कहा है। मुख्यमंत्री द्वारा राज्यपाल के अभिभाषण के बारे में स्थिति स्पष्ट किए जाने के बाद ही सदन शांत हुआ और कार्रवाई सुचारू हुई।