करनालPublished: Mar 13, 2020 05:42:30 pm
Chandra Prakash sain
राज्यसभा चुनाव में दिखा मध्यप्रदेश प्रकरण का असरअंतिम समय में कटा सैलजा का टिकट
रोहतक लोकसभा सीट से दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने भरा नामांकन
चंडीगढ़. हरियाणा की एक राज्यसभा सीट से प्रत्याशी चयन के मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी की फूट पूरी तरह से उजागर हो गई है। पूर्व सीएम हुड्डा के दबाव के आगे कांग्रेस हाईकमान को झुकना पड़ा और कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा की बजाए दीपेंद्र सिंह हुड्डा को राज्यसभा प्रत्याशी घोषित किया गया।
इस पूरे प्रकरण में कांग्रेस की आपसी फूट पूरी तरह से उजागर हो चुकी है। चार दिन पहले मध्यप्रदेश में हुई पार्टी की फजीहत और ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा लिए गए फैसले का पूरा असर हरियाणा में राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस में दिखाई दिया है। सिंधिया के फैसले से हुड्डा खेमे का मनोबल बढ़ा है और जिसका सफल प्रयोग उन्होंने राज्यसभा चुनाव के दौरान कर लिया है।
हरियाणा की यह सीट कांग्रेस अध्यक्षा कुमारी सैलजा के सेवानिवृत्त होने के कारण खाली हो रही है। यह तय माना जा रहा था कि 31 विधायकों की संख्या बल के आधार पर कांग्रेस कुमारी सैलजा को फिर से राज्यसभा में भेजेगी। पार्टी हाईकमान द्वारा इस बारे में कई बार संकेत भी दिए जा चुके थे। अशोक तंवर को कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटवाने के बाद पूर्व सीएम हुड्डा का गुट दिखावे के लिए तो सैलजा के साथ था लेकिन अंदरखाते दीपेंद्र सिंह हुड्डा को राज्यसभा में भेजने के लिए लॉबिंग कर रहा था।
होली के दौरान हुड्डा ने जब अपने दिल्ली आवास पर सभी विधायकों को बुलाया तो वहां 31 में से 25 विधायक पहुंचे थे। उसी दिन यह साफ हो गया था कि हुड्डा अपने बेटे को राज्यसभा में भेजकर उनका भविष्य सुरक्षित करना चाहते हैं। इसी दौरान सिंधिया प्रकरण हुआ तो हुड्डा समर्थित विधायकों ने दीपेंद्र को राज्यसभा में भेजने की बात चला दी।
इसे लेकर पार्टी में खींचतान चलती रही। गुरुवार को एक समय ऐसा भी आया जब 25 विधायक हुड्डा के समर्थन में एक तरफ हो गए और सैलजा समर्थक छह विधायक एक तरफ रह गए। इस घटनाक्रम के बाद हाईकमान अपना फैसला बदलने के मजबूर हो गई और अंतिम समय में सैलजा को साइडलाइन करते हुए गुरुवार की रात दीपेंद्र हुड्डा को राज्यसभा प्रत्याशी घोषित कर दिया।
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