कांग्रेस को होगा नुकसान
जजपा व बसपा का गठबंधन पूरी तरह से सोशल इंजीनियरिंग का परिणाम है। इस गठबंधन का सीधा नुकसान कांग्रेस पार्टी को होगा। बसपा कार्यकर्ता हाथी नहीं तो हाथ के फार्मूले पर चलते रहे हैं। दलित वोट बैंक को कांग्रेस खेमा सुरक्षित मानकर चलता है। इस गठबंधन के बाद जाट और दलित वोट बैंक बंटने से कांग्रेस को दोहरा नुकसान होगा। क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने में जुटे हुए हैं। हुड्डा खेमे की राजनीति इसी वोट बैंक पर टिकी रही है। लेकिन अब जाट और दलित वोटों के बंटने का सीधा लाभ हरियाणा की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को होगा।
चौटाला ने भी पिछले वर्ष किया था गठबंधन
हरियाणा की राजनीति में बहुजन समाज पार्टी की राजनीतिक विश्वसनीयता हमेशा से ही सवालों के घेरे में रही है। कुलदीप बिश्नोई के नेतृत्व वाली हरियाणा जनहित कांग्रेस से लेकर लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी तक सभी दलों से गठबंधन को लेकर बसपा की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में रहे हैं। बसपा ने वर्ष 2018 में अभय चौटाला के नेतृत्व वाली इनेलो के साथ गठबंधन किया था। जींद उपचुनाव दोनों दलों ने एक साथ लड़ा और जींद में इनेलो के खराब प्रदर्शन के बाद बसपा ने गठबंधन तोड़ लिया। इसके बाद बसपा ने लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के साथ गठबंधन किया और लोकसभा चुनाव इक्कठे लड़ा। इस चुनाव में गठबंधन के प्रत्याशी सात लोकसभा सीटों पर तीसरे स्थान पर रहे। लोकसभा चुनाव होते ही बसपा ने सैनी के साथ भी गठबंधन तोड़ लिया। अब विधानसभा से पहले जजपा के साथ हुआ गठबंधन कब तक चलता है यह भविष्य के गर्भ में है।