अशोक तंवर के चक्रव्यूह में फंसे हुड्डा, नहीं ले सके फैसला
करनालPublished: Sep 03, 2019 08:47:32 pm
Haryana:पहले हुड्डा ने समर्थकों तो अब समर्थकों ने हुड्डा के पाले डाली गेंद. तंवर का नेतृत्व कबूल न पार्टी बनाने पर एकमत. कई घंटे के मंथन के बाद कमेटी में ही नहीं बनी सहमति
अशोक तंवर के चक्रव्यूह में फंसे हुड्डा, नहीं ले सके फैसला
चंडीगढ़. प्रदेश में दस साल तक मुख्यमंत्री रहने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्डा पूरी तरह से राजनीतिक दुविधा में फंस गए हैं। राजनीतिक फैसला लिए जाने के मुद्दे पर हुड्डा व उनके समर्थक एक-दूसरे के पाले में गेंद डाल रहे हैं कांग्रेस में हुड्डा के विरोधी चटखारे ले रहे हैं। आलम यह है कि एक माह की उठापटक के बावजूद हुड्डा न तो नए दल का गठन कर पाए हैं और न ही कांग्रेस में रहकर अपनी राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। एक तरफ सत्तारूढ़ भाजपा व अन्य दल चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं वहीं हुड्डा रोहतक रैली के बाद शांत हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर अपने स्तर पर पार्टी की मजबूती के लिए काम कर रहे हैं। एक माह तक हरियाणा में महापरिवर्तन का हल्ला मचाने के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बीती 18 अगस्त को रोहतक में महापरिवर्तन रैली तो की लेकिन उसमें कोई बड़ा ऐलान नहीं किया। जिसके चलते हुड्डा समर्थक दुविधा में फंसे रहे। इसके बाद हुड्डा ने समर्थकों को शांत करने के लिए 36 सदस्यों वाली कमेटी का गठन भी किया।
कई दिनों तक कागजी कार्रवाई करने के बाद हुड्डा कमेटी की बैठक मंगलवार को दिल्ली में हुई। इस बैठक में हुड्डा गुट के सभी मौजूदा तथा पूर्व विधायक और पूर्व सांसद मौजूद रहे।
हालांकि बैठक के बाद हुड्डा गुट की तरफ से मीडिया को कोई अधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया लेकिन बैठक में मौजूद विधायकों की मानें तो कई घंटे के मंथन के बावजूद इस बात पर सहमति नहीं बनी कि हुड्डा कांगे्रस को छोड़े या फिर कांग्रेस में रहें। कुछ नेता कांग्रेस छोडक़र नए बैनर तले काम करने पर जोर दे रहे हैं तो कुछ नेता कांग्रेस में ही रहने के लिए जोर लगा रहे हैं। कई घंटे के मंथन के बाद हुड्डा समर्थकों ने फिर से हुड्डा के पाले में गेंद डालते हुए किसी तरह का फैसला लेने के लिए उन्हें ही अधिकृत कर दिया। अब कोई भी फैसला हुड्डा द्वारा लिया जाएगा।