करनाल

चीन को धूल चटा कर शहादत को प्राप्त हुए थे ये 34 रणबांकुरे

(Hariyana News ) वर्ष 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध (1962 War ) में करनाल के जांबाजों ने चीन के छक्के छुड़ा दिए थे। इस युद्ध में करनाल जिले के 34 रणबांकुरों को शहादत ( 34 Soldier get martyrdom ) मिली। चीन द्वारा जबरन खड़े किए गए सीमा विवाद और जवानों की हत्या के बाद 1962 में वीरगति को प्राप्त हुए इन वीरों की याद फिर से ताजा हो गई है।

करनालJun 23, 2020 / 11:35 pm

Yogendra Yogi

चीन को धूल चटा कर शहादत को प्राप्त हुए थे ये 34 रणबांकुरे

करनाल (हरियाणा): (Hariyana News ) वर्ष 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध (1962 War ) में करनाल के जांबाजों ने चीन के छक्के छुड़ा दिए थे। इस युद्ध में करनाल जिले के 34 रणबांकुरों को शहादत ( 34 Soldier get martyrdom ) मिली। चीन द्वारा जबरन खड़े किए गए सीमा विवाद और जवानों की हत्या के बाद 1962 में वीरगति को प्राप्त हुए इन वीरों की याद फिर से ताजा हो गई है। इस युद्ध में सर्फअली गांव के 11 जवान एक ही दिन में लड़ते हुए शहीद हुए थे।

एक ही दिन में हुए थे 11 जवान शहीद
इनमें तीन सैन्य अधिकारी और &4 जवान थे। हरियाणा गठन से पहले संयुक्त पंजाब में करनाल जनपद के अंतर्गत पानीपत, कैथल, कुरुक्षेत्र भी आते थे, वर्तमान संदर्भ में इनके जिले बनने के कारण उन वीर योद्धाओं के कुछ गांव दूसरे जिलों में शामिल हो गए हैं। असंध हल्के के खेड़ी सर्फअली गांव के 11 जवान 21 नवंबर 1962 को एक दिन में शहीद हो गए थे।

वीरों की भूमि रही है
गौरतलब है कि करनाल का इतिहास वीरों की गाथाओं से भरा हुआ है। करनाल महाभारतकाल में वीर योद्धा राजा कर्ण की नगरी थी। वीरों की इस धरती पर जहां भगवान श्रीराम की सेना को लव-कुश ने बंदी बना लिया था, वहीं महाभारत के समय कौरवों की तरफ से लड़े राजा कर्ण का यहां सैन्य पड़ाव था। मुगलों को यहां के वीरों ने कई युद्धों में परास्त किया। पानीपत और तरावड़ी की लड़ाई इतिहास करनाल में वीरता के इतिहास के साक्ष्य बयां करती हैं।

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