scriptकटघरे में ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना | 'My water-my heritage' scheme in the dock | Patrika News

कटघरे में ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना

locationकरनालPublished: May 08, 2020 08:22:38 pm

भाकियू ने जाहिर किया संशय

कटघरे में ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना

कटघरे में ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना

चंडीगढ़. हरियाणा में किसानों से जुड़ी ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना कटघरे में खड़ी कर दी गई है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने सरकार पर किसानों के मामले में दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए गेंद वापस सरकार के पाले में डाल दी है।
भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूंनी ने इस सिलसिले में मुख्यमंत्री मनोहरलाल तथा उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को पत्र लिखकर कहा कि सरकार अगर इस योजना को सख्ती से लागू करवाना चाहती है तो पहले इसकी शुरुआत बीजेपी ओर जेजेपी के अपने कार्यकर्ताओ से करवाए ताकि आम किसान का सरकार की घोषणाओ पर विश्वास हो।
उन्होंने कहा कि जल संरक्षण बेहद जरूरी है ओर गिरते भू-जल स्तर से वे बेहद चिन्तित है परंतु सरकार की दोहरी नीति के कारण कोई भी योजना पूरी नही होती है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार डार्कजोन का भू जल को ऊपर लाने के लिए दादुपुर नलवी नहर को बंद करवाने का काम किया गया और इस नहर को बंद करवाने के लिए बीजेपी सरकार ने भारी मात्रा में बीजेपी कार्यकर्ताओ का इस्तेमाल किया गया था आज उसी प्रकार ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना को लागू करने के लिए भी सरकार को अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओ को आगे लाए ताकि हर गाँव में बीजेपी ओर जेजेपी के बड़ी सॅख्या में मौजूद कार्यकर्ता से प्रेरित होकर होकर गाँव के अन्य किसान भी वैकल्पिक फसल की तरफ दिलचस्पी दिखाएं।
उन्होने कहा कि पानी बचाना अति जरूरी है परंतु इस बात को लेकर खतरा है की जनता और किसानों के बीच सरकार के प्रति अविश्वास है जिससे यह योजना बीच में ही रुक न जाए। इसलिए जिस प्रकार सरकार ने ग्राम पंचायतों को आदेश दिए की वे पंचायती जमीनों पर धान न लगाने के आदेश जारी किए गए हैं, उसी प्रकार सबसे पहले सरकार में हिस्सेदार दोनों पार्टियों को भी अपने अपने सभी कार्यकर्तों पर इस योजना को लागू करवाने के लिए सख्त से सख्त आदेश दिए जाने चाहिए।
चदूनी ने आरोप लगाया की पिछले साल भी मुख्यमंत्री ने वैकल्पिक फसले उगने वाले किसानो के लिए अनुदान की बड़ी बड़ी घोषनाए की थी। इस पर किसानों ने बड़ी मात्रा में किसानों ने वैकल्पिक फसलें बीजाई की थी परंतु सरकार ने न तो किसानों के लिए कोई अनुदान राशि जारी की और न ही किसानो को बाजार से बीज खरीद के पैसे दिए। इतना ही नही जिन किसानो ने अपने दम पर फसल पैदा की तब उनकी फसल मंडियो में खरीद नहीं हुई।

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