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53 साल का विवाद: पंजाब सरकार का फैसला, हरियाणा को विधानसभा भवन में नहीं मिलेगी हिस्सेदारी

locationकरनालPublished: May 25, 2020 08:36:23 pm

Submitted by:

Devkumar Singodiya

अब दोनों राज्यों में फिर से बढ़ेगा टकराव पंजाब ने हरियाणा विधानसभा के 20 कमरों पर कर रखा है कब्जा

53 साल का विवाद: पंजाब सरकार का फैसला, हरियाणा को विधानसभा भवन में नहीं मिलेगी हिस्सेदारी

53 साल का विवाद: पंजाब सरकार का फैसला, हरियाणा को विधानसभा भवन में नहीं मिलेगी हिस्सेदारी

करनाल/चंडीगढ़. हरियाणा को मौजूदा विधानसभा इमारत में अपनी अतिरिक्त हिस्सेदारी नहीं मिलेगी। पंजाब विधानसभा सचिवालय और पंजाब सरकार ने हरियाणा की इस मांग को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। लॉकडाउन के बीच पंजाब द्वारा यह मांग खारिज किए जाने के बाद अब दोनों राज्यों में फिर से यह विवाद बढ़ेगा। इससे पहले पंजाब सरकार द्वारा पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में हरियाणा द्वारा मांगी जा रही अपनी हिस्सेदारी का विरोध किया जा चुका है। पंजाब विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों ने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है।

हरियाणा चाहता है 13 प्रतिशत अतिरिक्त जगह

विधानसभा की इमारत में हिस्सेदारी को लेकर पंजाब व हरियाणा के बीच पिछले 53 साल से विवाद चल रहा है। यह मुद्दा हरियाणा की पूर्व हुड्डा सरकार के कार्यकाल में भी उठता रहा है। आरोप है कि पंजाब एवं हरियाणा विभाजन के बाद से पंजाब ने हरियाणा विधानसभा के हिस्से के 20 कमरे कब्जा रखे हैं। यह करीब ४००० वर्ग फीट जगह है। विभाजन के दौरान पंजाब व हरियाणा विधानसभा को 60-40 के अनुपात में जगह का बंटवारा हुआ था, लेकिन हरियाणा के पास फिलहाल 27 फीसदी जगह ही है। 13 फीसदी जगह पर पंजाब का कब्जा है।

हरियाणा विधानसभा में जगह की कमी के चलते अधिकारियों व कर्मचारियों को बैठने में दिक्कत आ रही है। पंजाब विधानसभा ने हरियाणा के जिन कमरों पर कब्जा कर रखा है, उनमें से कई में पंजाब के कार्यालय चल रहे, जबकि कुछ को स्टोर बनाया रखा है। हरियाणा के हिस्से की जगह से कब्जा छोडऩे और उसे वापस देने की मांग को लेकर विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने पंजाब विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर पंजाब विधानसभा में हरियाणा के हिस्से के कमरों की पूरी सूची सौंपी तथा भूतल, निचली व पहली मंजिल पर बने 20 कमरों पर अपनी दावेदारी जताई।

पंजाब को मिली थी विधानसभा सचिवालय व परिषद के लिए जगह

एक नवंबर 1966 को पंजाब से अलग होकर हरियाणा बना था। तब पंजाब एवं हरियाणा के बीच विधानसभा की जगह का बंटवारा हुआ था। कुल जगह 66 हजार 430 वर्ग फीट है। पंजाब विधानसभा सचिवालय को तब 30 हजार 890 वर्ग फीट, पंजाब विधानसभा परिषद सचिवालय को 10 हजार 910 वर्ग फीट और हरियाणा विधानसभा सचिवालय को 24 हजार 630 वर्ग फीट जगह का आवंटन हुआ था। हरियाणा के पास फिलहाल 20 हजार वर्ग फीट जगह है, जो आवंटित जगह का 27 फीसदी है। 1966 में हरियाणा विधानसभा के 54 विधायक थे। 1967 में 81 सदस्यीय विधानसभा हो गई और 1977 में 90 सदस्यीय विधानसभा हुई, जो अभी तक चल रही है।

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