यौन शोषण का लगाया था आरोप
करीब सवा महीने पहले पुलिस में दर्ज रिपोर्ट में पीडि़ता ने आरोप लगाया था कि प्राइवेट स्कूल के मालिक ने उसे प्रमोशन का लालच देकर फांस लिया। पीडि़ता स्कूल में लाइब्रेरियन के पद पर कार्यरत थी। स्कूल मालिक अजय भाटिया ने उसके साथ दुष्कर्म किया। इसी आड़ में तहसीलदार और स्कूल के प्रिन्सिपल ने भी उसका देह शोषण किया। स्कूल के मालिक भाटिया ने उसे पदोन्नति के साथ वेतन दुगना करने का झांसा दिया। महिला का कहना है कि जब इस मामले की उसने शिकायत करनी चाही तो उल्टे ही उसी पर ब्लैकमेलिंग के आरोप लगाए गए।
क्रास केस हुआ था दर्ज
इस प्रकरण में दोनों तरफ से मामला दर्ज कराए जाने के बाद एसपी सुरेंद्र सिंह भौरिया ने जांच के लिए एसआईटी की दो टीम गठित की हैं। जिनमें से एक केस में महिला थाना प्रभारी कविता दलाल व डीएसपी जगदीप दूहन है, जबकि दूसरे में सिविल लाइन थाना प्रभारी संजीव कुमार और डीएसपी राजीव कुमार हैं। इस मामले में महिला आयोग की अध्यक्ष प्रतिभा सुमन का कहना है कि आयोग स्वत: प्रसंज्ञान लेकर एसपी को कार्रवाई के लिए लिखा है। जरुरत पडऩे पर आयोग की टीम पीडि़ता से बात करके कार्रवाई कर सकती है।
10 लाख की मांग थी
अभी जांच चल ही रही थी कि स्कूल मालिक भाटिया ने पुलिस को एक और शिकायत दी कि महिला उनको केस वापस लेने के लिए ब्लैकमेल कर रही है और 10 लाख रुपये की डिमांड कर रही है। इस पर प्रशासन की ओर से मामले में तहसीलदार इंद्री को ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया। बताया जाता है कि महिला ने भाटिया को निर्मल कुटिया के पास पैसे लेकर आने को कहा। भाटिया और उसका गाड़ी चालक वहां पर पैसे लेकर पहुंचे तो शिकायतकर्ता महिला और उसका पति वहां थे। भाटिया ने जैसे ही सवा सात लाख रुपये महिला को दिये तो सिविल लाइन थाना पुलिस ने दोनों को काबू कर लिया।
एसआईटी की रिपोर्ट लंबित
इस प्रकरण में अहम बात यह है कि स्कूल मालिक और महिला द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करने के लिए दो एसआईटी बनाई गई थी, लेकिन एक भी कमेटी की जांच रिपोर्ट अभी नहीं आई है। बेशक महिला और उसके पति को ब्लैकमेलिंग में गिरफ्तार कर लिया गया हो, लेकिन अभी ये सच्चाई सामने आनी बाकी है कि इस मामले में सामूहिक दुष्कर्म हुआ था या नहीं? क्या महिला ने झूठी शिकायत दी थी और क्या महिला के साथ दुष्कर्म हुआ है? पुलिस की कार्यवाही पर इसलिए भी सवाल उठ रहे हैं कि दुष्कर्म का केस दर्ज होने के बावजूद सवा महीने बाद भी पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ किसी ठोस निष्कर्ष तक नहीं पहुंची।