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चामुंडा वाली माता की महिमा है अपार आपको बता दें कि मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप को चंद्र घंटा के नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि इनके मांथे पर अर्धचंद्र है। इनकी नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन पूजा करने का अत्यधिक महत्व है। मां चंद्रघंटा की कृपा से पूजा करने वाले देवी भक्तों के समस्त पाप, वाधायें और कष्ट अतिशीघ्र दूर हो जाते हैं। इनकी पूजा करने के लिए आज सबसे अधिक भीड़ तरौरा चामुंडा वाली मातारानी के दरबार में देखने को मिली। जहां देवी भक्तों ने मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की और पूजा के सामान के अलावा 16श्रंगार का सामान भेंट किया। मंदिर परिसर में चल रहे हवनकुंड में आहुतियां दीं।
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200 साल पहले पीपल के पेड़ से निकली थी प्रतिमा चामुंडा मातारानी के मंदिर के बारे में मंदिर के पुजारी अनेक पाल सिंह ने बताया कि 200 वर्ष पूर्व पीपल के वृक्ष में से मां चामुंडा निकलीं थीं, इसके बाद विधि विधान से मूर्ति स्थापना की गई, तभी से यहां पूजा अर्चना का सिलसिला शुरू हुआ है। जो मां के दरबार में सच्चे मन से दर्शन करता है उसकी मुरादें पूरी होती हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि ऐसा मंदिर आस पास के जिलों में नहीं है, जो इस मंदिर में दर्शन करने आता है उसकी हर मुराद पूरी होती है।