कासगंज में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। नगर पालिका कासगंज में कूड़ा डम्पिंग घर नहीं है, ऐसे में शहर से जहां की तहां उठाया जाने वाला, कूड़ा सड़कों के किनारे फेंक दिया जाता है। अब यें गंदगी आवा जाही करने वाले राहगीरों का ‘स्वागत’ ही नहीं करती, बल्कि इससे उठती बू राहगीरों को निकलना दुश्वार कर रही है। लोग शहर की सड़कों पर मुंह पर कपड़ा डालकर निकलते हैं। ऐसे में राहगीर और स्थानीय लोग नगर पालिका के साथ साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को कोसते हैं, यहां शहर वासियों की जिंदगी के साथ स्वच्छता के नाम पर खिलवाड़ किया जा रहा है, क्या ऐसे ही होगा गांधी जी और नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत का सपना साकार? पालिका कर्मचारी जगह जगह शहर में फैली गंदगी से शहर वासियों के जीवन के साथ खिलवाड़ तो कर ही रहे हैं लेकिन भारत स्वच्छ अभियान को पलीता लगा रहे हैं। सरकार के मंसूबों पर पानी फेर रहे हैं, जबकि भाजपा सरकार के नुमाइंदे 16 सितंबर से 24अक्टूबर तक शहर में विशेष साफई अभियान चला रहे हैं। वह भी शहर में सफाई करने के लिए आतें हैं दिखते हैं, लेकिन सफाई कम दिखावा ज्यादा, सेल्फी तस्वीर खिंचाने और सोशल मीडिया में डालकर ही अपने कर्तव्यों की इति श्री कर लेते हैं।
नॉवल्टी रोड के वाशिंदों का जीना मुहाल शहर के नॉवल्टी रोड इलाके के लोग तो हर वक्त गंदगी से जूझते रहते हैं, यहां सड़क पर निकली नाले की गंदगी भी रोड पर डाल दी जाती है। गली मोहल्लों में पसरी गंदगी और उन पर चरते जानवर आज भी कासगंज शहर की पहचान बन चुके हैं, इसकी सुंदरता को बदरंग कर रहे हैं। आखिर कब होगा कासगंज साफ सुथरा, कब बनेगा कूड़ा डंम्पिग घर कुछ कहा नहीं जा सकता। जब हमने स्वच्छ भारत अभियान को लेकर स्थानीय लोगों से बात की तो उन्होंने यह अभियान मात्र दिखावा तक बताया, कहा कि आज भी शहर में जहां की तहां फैली गंदगी लोगों को बीमारी का निमंत्रण दे रही हैं, जबकि स्वच्छता के नाम प्रतिमाह लाखों रूपए खर्च हो रहे हैं।
आखिर कैसे होगा गांधी का सपना साकार आने वाले दो अक्टूबर को जब पूरे देश में महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि स्वरूप स्वच्छ बनाने की कार्य योजनाएं चलाई जानी हैं जिसके लिए तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं ऐसे में कासगंज जिला और नगर पालिका प्रशासन की उदासीनता के चलते स्वच्छता अभियान के नाम पर केवल लकीर पीटी जा रही है। देखना है कि नगर पालिका ओर जिला प्रशाशन की कुम्भकर्णी नींद कब टूटती है, कब कासगंज को गंदगी और बीमारियों से निजात मिल पाती है।