नादिरा काफी समय से राजनीति में सक्रिय हैं। पिछले 20 वर्षों से प्रदेश कांग्रेस कमेटी की सदस्य थीं। कुछ समय के लिए सह सचिव भी रहीं हैं। वर्ष 2007 में वे पटियाली विधानसभा का चुनाव भी कांग्रेस से लड़ी थीं और तीसरे स्थान पर रहीं थीं। मुस्लिम नेताओं के तौर पर उनकी छवि काफी अच्छी है। माना जा रहा है कि नादिरा के सपा में आने से मुस्लिम मतदाताओं पर इसका प्रभाव बढ़ेगा और सपा प्रत्याशी को मजबूती मिलेगी। नादिरा का कहना है कि अब वे समाजवादी पार्टी के लिए प्रचार करेंगी।
नादिरा के पिता पूर्व सांसद मुशीर अहमद का कांग्रेस से करीब 50 साल पुराना नाता है। एटा-कासगंज और बदायूं की राजनीति में उनका काफी दखल रहा है। मुशीर खां 1967 में कासगंज-बदायूं सीट से चुनाव जीते थे। 1980 में वे एटा संसदीय सीट से चुनाव जीते और 1984 के चुनाव में मात्र 1300 मतों से वे पराजित हुए। उन्होंने कासगंज-बदायूं लोकसभा सीट से भी दो बार चुनाव लड़ा।