पुल में पड़ने लगी हैं दरारें
कासगंज जिले नदरई गांव के समीप बने झाल का पुल का निर्माण सन 1889 में हुआ था। इस जलसेतु के ऊपर हजारा नहर गुजरती है, जबकि नीचे काली गंगानदी बह रही है। इसकी पहचान विश्व के शीर्ष जलसेतु में से एक है । इस झाल के पुल के नाम से जाना जाता है । इस पुल को बने 128 साल हो चुके हैं। अब इसमें दरारें पड़ना शुरू हो गई हैं। जिससे हल्के भूकंप के दौरान पुल टूटने की संभावना जताई जा रही है। अगर ऐसा हुआ तो बड़ा हादसा हो सकता है। सूचना मिलने पर जिलाधिकारी आरपी सिंह ने पुल पर भारी वाहन हमेशा के लिए प्रतिबंधित कर दिए गए हैं ।
विलियम गुड ने बनवाया था पुल
बता दें कि ये जलसेतु विश्व के तमाम शिक्षा संस्थानों के पाठ्यक्रम का हिस्सा भी है। इस जलसेतु की एंटिक फोटो, आयरलैंड की कॉर्क यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग में स्नातक विलियम गुड ने नदरई जलसेतु को बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। विलियम गुड इस परियोजना के कार्यकारी अभियंता थे। 60 फीट चौड़ाई की कुल 15 त्रिजायें, जलसेतु की कुल लंबाई 1310 फीट और ऊंचाई 88 फीट है। नदरई का ये जलसेतु इंजीनियरिंग की एक ऐसी अग्रणी संरचना है जिसकी पुनरावृत्ति करना आज के मशीनी युग में भी किसी चुनौती से कम नहीं है।