यहां का है मामला
कासगंज के कस्बा अमांपुर के मोहल्ला किदवई नगर निवासी विजय साहू पुत्र श्यामलाल साहू की विद्युत करंट लगने से मौत हो गई। उनका पार्थिव शरीर अस्पताल से घर लाया गया, तो पत्नी रेखा की आंखें आंसूओं के सैलाब में डूबी थीं। चिंता इस बात की थी, कि आखिर अंतिम संस्कार की रस्में कौन निभाएगा, क्योंकि विजय साहू के कोई पुत्र नहीं है। उनके इकलौती संतान बेटी रेनू है, जिसकी शादी दो साल पहले पंजाब के अंबाला में हुई है।
कासगंज के कस्बा अमांपुर के मोहल्ला किदवई नगर निवासी विजय साहू पुत्र श्यामलाल साहू की विद्युत करंट लगने से मौत हो गई। उनका पार्थिव शरीर अस्पताल से घर लाया गया, तो पत्नी रेखा की आंखें आंसूओं के सैलाब में डूबी थीं। चिंता इस बात की थी, कि आखिर अंतिम संस्कार की रस्में कौन निभाएगा, क्योंकि विजय साहू के कोई पुत्र नहीं है। उनके इकलौती संतान बेटी रेनू है, जिसकी शादी दो साल पहले पंजाब के अंबाला में हुई है।
पुत्री ने उठाया साहसिक कदम
पिता की मौत की सूचना मिलने के बाद पुत्री रेनू अमांपुर पहुंची। बेटी ने मां के आंसूं पोंछते हुए जो साहसिक कदम उठाया, उससे सभी हैरान रह गए। बेटी रेनू ने न केवल अर्थी को कंधा दिया, बल्कि शमशान घाट पर पिता की चिता को मुखाग्नि दी। रेनू ने बताया कि पिता ने उसे आत्मविश्वास से जीने एवं हर परिस्थिति से लड़ने का जज्बा दिया। पिता ने कभी भी उसके होते हुए बेटे की कमी महसूस नहीं की। इसलिए उसने भी बेटा-बेटी एक समान होने का फर्ज निभाया है। मृतक की पत्नी रेखा ने कहा कि बेटी ने जो हिम्मत और साहस दिखाया है। उससे आत्मबल मिला है। पति की कमी तो पूरी नहीं की जा सकती, लेकिन बेटी के इस कदम से हिम्मत मिली है।
पिता की मौत की सूचना मिलने के बाद पुत्री रेनू अमांपुर पहुंची। बेटी ने मां के आंसूं पोंछते हुए जो साहसिक कदम उठाया, उससे सभी हैरान रह गए। बेटी रेनू ने न केवल अर्थी को कंधा दिया, बल्कि शमशान घाट पर पिता की चिता को मुखाग्नि दी। रेनू ने बताया कि पिता ने उसे आत्मविश्वास से जीने एवं हर परिस्थिति से लड़ने का जज्बा दिया। पिता ने कभी भी उसके होते हुए बेटे की कमी महसूस नहीं की। इसलिए उसने भी बेटा-बेटी एक समान होने का फर्ज निभाया है। मृतक की पत्नी रेखा ने कहा कि बेटी ने जो हिम्मत और साहस दिखाया है। उससे आत्मबल मिला है। पति की कमी तो पूरी नहीं की जा सकती, लेकिन बेटी के इस कदम से हिम्मत मिली है।