विदित हो कि बीती 26 जनवरी को जनपद मुख्यालय कासगंज में निकाली गई तिरंगा यात्रा विवाद का कारण बन गई। परिणाम स्वरूप घटित हुई गोलीकांड की घटना में चंदन नाम के एक युवक की मौत हो गई। प्रक्रिया स्वरूप नगर के कुछ व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आगजनी की घटनाएं भी घटित हुई। कासगंज दंगे की जानकारी शासन को होते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की गंभीरता को भांप कर तत्काल अपर पुलिस महानिदेशक लॉ एण्ड आॅर्डर अपराध नियंत्रण व आईजी आॅपरेशन सेल को मौके पर भेज दिया था। वह मामले को पूरी तरह से शांत कर विदा हुए, लेकिन कासगंज दंगे की घटना का मास्टर माइंड कहा जाने वाला आमिर रफी उर्फ मुनाजिर रफी एडवोकेट कासगंज दंगे का मुख्य आरोपी व साजिश कर्ता भी है। उसने अपने एक सहयोगी शमी अख्तर पुत्र चमन मोहल्ला बड्डू नगर कासगंज के माध्यम से न्यायालय में एक समाज विशेष के 46 नामजद व सैकड़ों अज्ञातों के विरूद्ध अभियोग दर्ज कर कार्रवाई की मांग की है।
जानिये कैसे लोग किए नामित वादी पक्ष द्वारा नामित किए आरोपियों में मीडियाकर्मी, समाजसेवी, चार्टड एकांटेेड, अधिवक्ता, नामचीन व्यापारी एवं अपनी परीक्षा की तैयारी में लगे, अध्यनरत छात्रों के साथ मृतक चंदन व उसके भाई को भी नामजद करते हुए कार्रवाई की गुहार लगाई। इस पूरे प्रकरण में राजनीति की बू स्पष्ट दिखाई दे रही है। परिणाम स्वरूप कोई भी राजनैतिक दल कासगंज दंगे को भूलना नहीं चाहता और किसी न किसी रूप में कासगंज दंगे को जिन्दा रखने का पुनः प्रयास किया जा रहा।
इस पूरे मामले का दिलचस्प पहलू यह है कि आज न्यायालय में सुनवाई होने के बावजूद भी वादी शमी अख्तर न्यायालय में प्रस्तुत नहीं हुआ, लिहाजा न्यायालय ने सुनवाई की अगली तारीख चार अप्रैल निर्धारित की है।