तब उस आदमी ने कहा कि मैं यह बिल देखकर नहीं रो रहा हूँ। मैं तो इसलिए रो रहा हूँ कि मैंने 24 घण्टे आपकी ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया तो आपने 50 हजार का बिल बना दिया। जिस ईश्वर से मैं 81 वर्षों तक ऑक्सीजन ले रहा हूँ, अगर उसका हिसाब मुझे देना पड़ जाए तो मैं क्या करूँगा ?
कभी सोचिए कि ईश्वर के द्वारा दी गई अनमोल साँसों का हम क्या कर्ज उतार सकते हैं? क्या हमने आज तक ईश्वर का धन्यवाद किया? नहीं किया है तो आज से ही उसका गुणगान करना शुरू कर दीजिए।
प्रस्तुतिः डॉ. राधाकृष्ण दीक्षित, प्राध्यापक, केए कॉलेज, कासगंज।