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भगवान को गालियां देने से पहले ये कथा पढ़कर एक बार विचार जरूर करें

locationकासगंजPublished: Nov 04, 2018 07:22:43 am

Submitted by:

Bhanu Pratap

कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जो इस मानव जीवन में जानवरों से भी बदतर कर्म करते हैं, तो अब आप ही सोच लीजिये कि शिकायत किसे करनी चाहिए?
 

shri krishna

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एक दिन मैंने जीवन का महत्व समझा जो मुझे एक नासमझ व्यक्ति ने समझाया। मैं अपनी दिनचर्या के अनुसार उस दिन मंदिर में पूजा अर्चना कर रहा था। बड़ा ही शांत और सौम्य वातावरण था, मुझे अक्सर ऐसे वातावरण में बैठना अच्छा लगता है।
तभी अचानक एक व्यक्ति बड़े अशांत मन से वहां आया और भगवान की मूर्ति के सामने जाकर खड़ा हो गया। वो इतना अशांत था कि ये भी भूल गया कि वो घर में नहीं बल्कि एक सार्वजनिक मंदिर में खड़ा है। उसकी आँखे अंगारे बरसा रही थीं और होंठ गालियां। भगवान को गालियां। ये कैसा अनर्थ। मैं अपनी पूजा-अर्चना भूल कर उसके शब्दों पर ध्यान लगाने लग गया।
वो व्यक्ति बोल रहा था-

“हे प्रभु, मैंने तेरा क्या बिगाड़ा है, जो तूने मेरे जीवन में दुखों का समंदर भर दिया। मैंने तो हमेशा तेरी पूजा की है, कभी कोई पाप नहीं किया, तो फिर ये दुःख-दर्द किसलिए? मैं आज के बाद तेरा नाम भी नहीं लूंगा, तुने मुझे दिया ही क्या है?” वो व्यक्ति मंदिर में पैर पटक-पटक कर आया था और ठीक वैसे ही पैर पटक-पटक कर लौट गया।
उसके जाने के बाद मैंने अपनी आँखे बंद कर अपने “कान्हा जी” का ध्यान किया और ध्यान में उनसे इस घटनाक्रम पर चर्चा की। मैंने पूछा:- “हे भगवान, वो व्यक्ति तुम पर ढेर सारे इल्जाम लगा कर चला गया और तुम चुप-चाप देखते रहे, क्यों? क्या तुम उस साधारण व्यक्ति से डर गए या जो इल्जाम उसने तुम पर लगाए वो सभी सत्य है?”
भगवान् मुस्कुराए और बोले:- “प्रिय भक्त ना तो वो व्यक्ति साधारण है और ना ही मैं उससे डर गया, सच तो ये है कि इस धरती का कोई भी व्यक्ति साधारण नहीं है। ये एक मानवीय प्रवृत्ति है कि जो हमारे पास पहले से होता है, हमें उसकी क़द्र नहीं होत। लेकिन जो हमारे पास नहीं होता, हम उसे पाने के लिए व्याकुल रहते है, फिर चाहे वो बेकार वस्तु ही क्यों ना हो। मैंने उसे जो नहीं दिया उसकी शिकायत तो उसने कर दी, लेकिन जो बहुत कुछ दिया है, क्या कभी उसने उन सबके लिए मेरा शुक्रिया अदा किया?”
bhagwan vishnu
मैंने कहा:- “प्रभु मै नासमझ आपकी बातों का अर्थ समझ नहीं पाया, कृपया विस्तार से समझाएं”
प्रभु बोले:- जिन पैरों को पटक-पटक कर वो यहाँ आया था, वो पैर उसे किसने दिए? जिन आँखों से वो क्रोध के अंगारे बरसा रहा था वो आँखे उसे किसने दी? जिस जुबान से वो गालियों का समंदर बहा रहा था वो जुबान उसे किसने दी? और सबसे बड़ी बात सुख दुःख का अहसास तो तभी होता है, जब कि आप मनुष्य जीवन में हो, तो ये मनुष्य जीवन उसे किसने दिया? मंदिर के बाहर बैठा वो काला कुत्ता तो मुझसे मंदिर में आकर कभी कुछ नहीं कहता। तुम्हारे मोहल्ले में सुबह-सुबह रोटी की चाह में घूमने वाली वो अधमरी सी गाय तो मुझे कभी कुछ नहीं कहती। अरे उन्हें तो मंदिर में आने का अधिकार भी नहीं, क्योंकि वो इंसान नहीं हैं। अरे मूर्खो, जो तुम्हें मिला है, वो तो किसी को नहीं मिला। मानव जीवन सबसे बडी सौगात है, इसका महत्व समझो और इसके लायक बनो”
विचार करें
कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जो इस मानव जीवन में जानवरों से भी बदतर कर्म करते हैं, तो अब आप ही सोच लीजिये कि शिकायत किसे करनी चाहिए? हम इंसान को या उस भगवान को? हम खुश किश्मत हैं कि भगवान ने हमें इंसान बनाया है, मानव जीवन दिया हैl
प्रस्तुतितः डॉ. राधाकृष्ण दीक्षित, प्राध्यापक, केए कॉलेज, कासगंज

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