ऋषिबोले- लोटे से सीखो, जब तक इसे रोज मांजा जाता रहा, यह रोज चमकता रहा। ऐसे ही साधक होता है अगर वह रोज मन को साफ न करे तो मन संसारी विचारों से अपनी चमक खो देता है।
devaki nandan thakur
एक ऋषि रोज लोटा मांजते थे, एक शिष्य ने कहा के लोटे को रोज़ मांजने की क्या जरूरत है? सप्ताह में एक बार मांज लें, ऋषि ने कहा -बात तो सही है और उसके बाद उन्होंने उसे नहीं मांजा।
उस लोटे की चमक फीकी पड़ने लगी, सप्ताह बाद ऋषि ने शिष्य को कहा कि लोटे को साफ कर दो। शिष्य लोटे को बहुत देर मांजने के बाद भी पहले वाली चमक नहीं ला सका। फिर और मांजा, तब जाकर लोटा कुछ चमका..I
ऋषि बोले– लोटे से सीखो, जब तक इसे रोज मांजा जाता रहा, यह रोज चमकता रहा। ऐसे ही साधक होता है अगर वह रोज मन को साफ न करे तो मन संसारी विचारों से अपनी चमक खो देता है। इसको रोज ध्यान से चमकाना चाहिए। यदि एक दिन भी भजन सिमरन का अभ्यास छोड़ा तो चमक फीकी पड़ जाएगी।
सीख अपने आराध्य यानी ईश्वर का ध्यान रोज करें। ध्यान रहे, हमारा मन लोटे की तरह है। ध्यान के माध्यम से साफ करते रहेंगे तो निर्मल रहेगा।