जब पाँचवी बार हम भागवत गीता को पढेंगे तो पूरा कुरूक्षेत्र हमारे मन में खड़ा होता है, तैयार होता है, हमारे मन में अलग- अलग प्रकार की कल्पनायें होती हैं।
bhagwat geeta
श्रीमद्भागवत गीता के बारे में कौन नहीं जानता है। महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने धनुरधारी अर्जुन को जो उपदेश दिया है, वही गीता है। गीता में आत्मा, परमात्मा, भक्ति, कर्म आदि का वृहद वर्णन है। हमारे हर प्रश्न का उत्तर समाहित है। गीता को जितनी बार पढ़ते हैं, उतनी ही बार कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता है। गीता का उपदेश सुनकर ही अर्जुन शोक और संताप से उबरा। फिर उसने महाभारत युद्ध में कौरवों का विनाश किया। इस तरह गीता से हमें कर्म करने की प्रेरणा मिलती है। शोक में डूबा व्यक्ति भी चैतन्य हो जाता है। आइए जानते हैं कि गीता पढ़ने के क्या लाभ हैं।
1. जब हम पहली बार भगवत गीता पढ़ते हैं तो हम एक अंधे व्यक्ति के रूप मे पढ़ते हैं। बस इताना ही समझ में आता है कि कौन किसके पिता, कौन किसकी बहन, कौन किसका भाई। बस इससे ज्यादा कुछ समझ में नहीं आता।
2. जब दूसरी बार भगवत गीता पढ़ते हैं तो हमारे मन मे सवाल जागते हैं कि उन्होंने ऐसा क्यों किया या उन्होंने वैसा क्यों किया? 3.जब तीसरी बार भगवत गीता को पढ़ेंगे, तो हमें धीरे- धीरे उसके मतलब समझ में आने शुरू हो जायेंगे। लेकिन हर एक को वो मतलब अपने तरीके से ही समझ मे आयेंगे।
4. जब चौथी बार हम भगवन गीता को पढेंगे, तो हर एक पात्र की जो भावनायें हैं, उसको समझ पायेंगे कि किसके मन में क्या चल रहा है। जैसे अर्जुन के मन में क्या चल रहा हैं या दुर्योधन के मन में क्या चल रहा हैं? इसको हम समझ पायेंगे।
5. जब पाँचवी बार हम भागवत गीता को पढेंगे तो पूरा कुरूक्षेत्र हमारे मन में खड़ा होता है, तैयार होता है, हमारे मन में अलग- अलग प्रकार की कल्पनायें होती हैं। 6. जब हम छठी बार भगवत गीता को पढ़ते हैं, तब हमें ऐसा लगता है कि सामने वो ही भगवान हैं, जो मुझे ये बता रहे हैं।
जब हम आठ बार भगवत गीता पढ़ लेंगे तब हमें गीता का महत्व पता चलेगा कि संसार में भगवत गीता से अलग कुछ है ही नहीं। इस संसार में भगवत गीता ही हमारे मोक्ष का सबसे सरल उपाय है। भगवत गीता में ही मनुष्य के सारे प्रश्नों के उत्तर लिखे हैं। जो प्रश्न मनुष्य ईश्वर से पूछना चाहता है, वो बस गीता मे सहज ढंग से लिखे हैं। मनुष्य की सारी परेशानियों के उत्तर भगवत गीता में लिखे हैं। गीता अमृत है।