यहां स्थिति है ये मंदिर
कासगंज जनपद के गंजडुंडवारा पटियाली मार्ग पर स्थित प्राचीन सिद्धेश्वर भगवती मां भगवती पाटला देवी का मंदिर है। मंदिर महंत ने बताया कि मां देवी दुर्गा भगवान् शिव की पत्नी माता पार्वती जी का ही स्वरुप हैं। सनातन धर्म में माता देवी दुर्गा को ब्रह्मांड की परम शक्ति के रूप में जाना जाता है। श्रीदुर्गाष्टोत्तर शतनामस्त्रोत के 41वें खंड में माता देवी पाटलावती का नाम आता है, जिसका अर्थ है गुलाब के फूल या लाल परिधान या फूल धारण करने वाली देवी। मां पाटला वती देवी का मंदिर देश का इकलौता मंदिर है। मंदिर के महंत रघुवीर दास का कहना है कि माता पाटला वती देवी के मंदिर में लाल गुलाब के फूल व् लाल वस्त्र अर्पित करने का विधान है। ऐसा करने से मां पाटलावती देवी प्रसन्न होतीं हैं।
कासगंज जनपद के गंजडुंडवारा पटियाली मार्ग पर स्थित प्राचीन सिद्धेश्वर भगवती मां भगवती पाटला देवी का मंदिर है। मंदिर महंत ने बताया कि मां देवी दुर्गा भगवान् शिव की पत्नी माता पार्वती जी का ही स्वरुप हैं। सनातन धर्म में माता देवी दुर्गा को ब्रह्मांड की परम शक्ति के रूप में जाना जाता है। श्रीदुर्गाष्टोत्तर शतनामस्त्रोत के 41वें खंड में माता देवी पाटलावती का नाम आता है, जिसका अर्थ है गुलाब के फूल या लाल परिधान या फूल धारण करने वाली देवी। मां पाटला वती देवी का मंदिर देश का इकलौता मंदिर है। मंदिर के महंत रघुवीर दास का कहना है कि माता पाटला वती देवी के मंदिर में लाल गुलाब के फूल व् लाल वस्त्र अर्पित करने का विधान है। ऐसा करने से मां पाटलावती देवी प्रसन्न होतीं हैं।
ये है मंदिर की कहानी
मंदिर के महंत रघुवीर दास ने बताया कि पटियाली का माता पाटला वती देवी मंदिर द्वापरयुग में राजा द्रुपद व् द्रोणाचार्य की कुल देवी के रूप में विद्यमान रहा है। मंदिर के पूर्व महंतों का दावा रहा है कि महाभारत के एक मात्र अमर पात्र अश्वत्थामा भी यदाकदा इस मंदिर में माता पाटलावती देवी के दर्शन को आते रहते हैं।
मंदिर के महंत रघुवीर दास ने बताया कि पटियाली का माता पाटला वती देवी मंदिर द्वापरयुग में राजा द्रुपद व् द्रोणाचार्य की कुल देवी के रूप में विद्यमान रहा है। मंदिर के पूर्व महंतों का दावा रहा है कि महाभारत के एक मात्र अमर पात्र अश्वत्थामा भी यदाकदा इस मंदिर में माता पाटलावती देवी के दर्शन को आते रहते हैं।