एक दिन दादा जी को शाम को आने में विलंब हुआ। इस अवसर का लाभ लेते हुए बच्चे ने समय पर पूजा प्रारम्भ कर दी। जब दादा जी आये, तो दीवार के पीछे से बच्चे की पूजा देख रहे थे। बच्चा बहुत सारी अगरबत्ती एवं अन्य सभी सामग्री का अनुष्ठान में यथाविधि प्रयोग करता है और फिर अपनी प्रार्थना में कहता है-
भगवान जी प्रणाम,
आप मेरे दादा जी को स्वस्थ रखना और दादी के घुटनों के दर्द को ठीक कर देना
क्योंकि दादा दादी को कुछ हो गया, तो मुझे चॉकलेट कौन देगा?
फिर आगे कहता है, भगवान जी मेरे सभी दोस्तों को अच्छा रखना, वरना मेरे साथ कौन खेलेगा?
आप मेरे दादा जी को स्वस्थ रखना और दादी के घुटनों के दर्द को ठीक कर देना
क्योंकि दादा दादी को कुछ हो गया, तो मुझे चॉकलेट कौन देगा?
फिर आगे कहता है, भगवान जी मेरे सभी दोस्तों को अच्छा रखना, वरना मेरे साथ कौन खेलेगा?
फिर मेरे पापा और मम्मी को ठीक रखना, घर के कुत्ते को भी ठीक रखना, क्योंकि उसे कुछ हो गया, तो घर को चोरों से कौन बचाएगा?
लेकिन भगवान यदि आप बुरा न मानो तो एक बात कहू, सबका ध्यान रखना, लेकिन उससे पहले आप अपना ध्यान रखना, क्योंकि आपको कुछ हो गया, तो हम सबका क्या होगा?
इस सहज प्रार्थना को सुनकर दादा की आंखों में भी आंसू आ गए, क्योंकि ऐसी प्रार्थना उन्होंने न कभी की थी और न सुनी थी।
लेकिन भगवान यदि आप बुरा न मानो तो एक बात कहू, सबका ध्यान रखना, लेकिन उससे पहले आप अपना ध्यान रखना, क्योंकि आपको कुछ हो गया, तो हम सबका क्या होगा?
इस सहज प्रार्थना को सुनकर दादा की आंखों में भी आंसू आ गए, क्योंकि ऐसी प्रार्थना उन्होंने न कभी की थी और न सुनी थी।
सीख
आज आप भी अपनी गलती स्वीकार करें, चलो प्रभु से पुनः प्रार्थना करें। सर्वे भवन्तु सुखिनः। प्रस्तुतिः आशीष गोस्वामी
श्री बाँके बिहारी जी मंदिर, श्री धाम वृंदावन (मथुरा)
आज आप भी अपनी गलती स्वीकार करें, चलो प्रभु से पुनः प्रार्थना करें। सर्वे भवन्तु सुखिनः। प्रस्तुतिः आशीष गोस्वामी
श्री बाँके बिहारी जी मंदिर, श्री धाम वृंदावन (मथुरा)