scriptइस राज्य के बच्चे पढऩे के लिए पड़ौसी राज्य में जाते हैं | Children from this state go to the neighboring state to study. | Patrika News

इस राज्य के बच्चे पढऩे के लिए पड़ौसी राज्य में जाते हैं

locationकटिहारPublished: Mar 30, 2020 02:08:44 pm

Submitted by:

Yogendra Yogi

( Bihar News ) देश में लॉक डाउन ( Lock down ) के चलते लोगों को सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करके पैदल ही अपने घरों को जाना पड़ रहा है। लेकिन कटिहार ( Katihar News ) के बच्चे स्कूल ( Students go daily to another state by foot ) जाने के लिए हर रोज एक राज्य से दूसरे राज्य में जाते हैं।

इस राज्य के बच्चे पढऩे के लिए पड़ौसी राज्य में जाते हैं

इस राज्य के बच्चे पढऩे के लिए पड़ौसी राज्य में जाते हैं

कटिहार: ( Bihar News ) देश में लॉक डाउन ( Lock down ) के चलते लोगों को सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करके पैदल ही अपने घरों को जाना पड़ रहा है। लेकिन कटिहार ( Katihar News ) के बच्चे स्कूल ( Students go daily to another state by foot ) जाने के लिए हर रोज एक राज्य से दूसरे राज्य में जाते हैं। ग्रामीण इलाकों में सरकार और प्रशासन का कितना ध्यान है, यह उदाहरण इसकी बानगी भी है। हालांकि फिलहाल लॉकडाउन होने के कारण स्कूल बंद है, जब खुलेंगे तब बच्चों को अन्य दिनों की तरह रोज दूसरे राज्य में पढऩे जाना पड़ेगा।

कई किलोमीटर रोज जाते हैं पढऩे
कई किलोमीटर तक पैदल चल कर सीमावर्ती राज्य में पढऩे जाने की यह व्यथा है मनिहारी अनुमंडल के बैजनाथपुर दियारा के गांव में रहने वाले बच्चों की। कभी इस गांव की आबादी करीब 1200 थी। कई परिवार यहां से पलायन कर गए। कारण है गांव के विकास की सरकारी उपेक्षा। विकास के दावो का दंभ भरे ही कितना ही भरा जाए, किन्तु विकास की सच्चाई खोखली है। बाढ़ के कटाव से ग्रामीणों का काफी नुकसान हुआ। पलायन की वजह भी यही बाढ़ का कटाव रहा।

गांव को है विकास की दरकार
इस गांव में कोई विद्यालय नहीं होने से बच्चों को पढऩे के लिए सीमावर्ती झारखंड राज्य के साहिबगंज दियारा स्थित गांव में जाना पड़ता है। यह कवायद हर रोज की है। इतनी दूर जाने में बच्चों पर मौसम की मार अलग से पड़ती है। गांव की हालत यह है कि विकास की किरण दूर-दूर तक दिखाई नहीं देती। करीब 1200 की आबादी होने के बावजूद बैजनाथपुर दियारा में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं है। गांव शौचालय और पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाएं से वंचित है। गांव में दो पीसीसी की दो सड़कें जरूर बनी हुई हैं।

झारखंड में नामांकन में आती है परेशानी
पड़ौसी राज्य झारखंड में पढऩे के कारण बच्चों के अभिभावकों कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है। बिहार के होने के कारण उन्हें कई तरह की सरकारी योजनाओं से महरुम रहना पड़ता है। सर्वाधिक परेशानी बच्चों के स्कूल में नामांकन के दौरान आती है। आधार कार्ड और कई अन्य दस्तावेजों बिहार के होने के कारण अभिभावकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। गांव में पिछले दिनों विकास अधिकारी छाया कुमारी के समक्ष भी सारी समस्याएं रखी। आश्वासन मिलने के बाद ग्रामीणों को अपने गांव के विकास और बच्चों को स्कूल खुलने का इंतजार है।

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