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यहां टॉफी-चॉकलेट के लालच में नदी से सिलेंडर पार कराते हैं बच्चे

locationकटिहारPublished: Jul 29, 2020 06:37:30 pm

Submitted by:

Yogendra Yogi

(Bihar News ) सोचिए साधारण टॉफी और चॉकलेट की क्या कीमत हो सकती है। यही न 2-4 रूपए। क्या ऐसी टॉफी या चॉकलेट की कीमत पर किसी की जान (Childrens playing their life ) से खिलवाड़ किया जा सकता है। क्या टॉफी और चॉकलेट का लालच देकर किसी को मौत के मुंह में धकेला जा सकता है। यह सच्चाई है और ऐसा ही हो रहा है बिहार के कटिहार के हसनगंज इलाके में।

यहां टॉफी-चॉकलेट के लालच में नदी से सिलेंडर पार कराते हैं बच्चे

यहां टॉफी-चॉकलेट के लालच में नदी से सिलेंडर पार कराते हैं बच्चे

कटिहार(बिहार): (Bihar News ) सोचिए साधारण टॉफी और चॉकलेट की क्या कीमत हो सकती है। यही न 2-4 रूपए। क्या ऐसी टॉफी या चॉकलेट की कीमत पर किसी की जान (Childrens playing their life ) से खिलवाड़ किया जा सकता है। क्या टॉफी और चॉकलेट का लालच देकर किसी को मौत के मुंह में धकेला जा सकता है। यह सच्चाई है और ऐसा ही हो रहा है बिहार के कटिहार के हसनगंज इलाके में।

उफनती नदी पार करते हैं बच्चे
हसनगंज प्रखंड के बाढ़ ग्रस्त इलाके में लोग नाव (Childrens cross river with cylinder ) का किराया बचाने के लिए बच्चों की जान जोखिम में डालने से नहीं चुक रहे हैं। वह भी महज टॉफी या चॉकलेट का लालच देकर। कुछ बेहद स्वार्थी किस्म के लोग गैस के सिलेंडर को उफनती नदी से पार कराने के लिए बच्चों को चॉकलेट का लालच देकर यह जानलेवा कृत्य करा रहे हैं।

नाव का किराया बचाते हैं
गौरतलब है कि हसनगंज और कोढ़ा प्रखंड को नदी से जोडऩे वाले चापी नया टोला के लोग भासना नदी को पार करने के लिए बीस रुपए का किराया नाव वालों को देते हैं, लेकिन बगल में ही गैस गोदाम से गैस सिलेंडर ले जाने के लिए नाव वाले को दोगुना किराया देना पड़ता है। इसी कारण ग्रामीणों ने इसका तोड़ निकालते हुए नदी में खेलते बच्चों के सहारे ही गैस सिलेंडर को पार करवाने लेते हैं।

सरकारी अमले को जानकारी नहीं
नदी किनारे गांव होने से छोटे बच्चे भी तैरने में माहिर हैं। गैस सिलेंडर को नदी पार करवाने वाले बच्चे गैस सिलेंडर के साथ तैरकर नदी पार करवाने के लिए कोई शर्तिया पैसों की मांग तो नहीं करते हैं, लेकिन प्रति सिलेंडर लोग उन्हें दो से तीन चॉकलेट दे ही देते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि यह बच्चों की जान जोखिम में डलवा कर अपना उल्लू सीधा कर रहे लोगों के इस कृत्य के बारे में सरकारी अमले को जानकारी तक नहीं है।

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