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यह तीन दोस्ती की ऐसी दास्तान है, जिन्होंने जिंदगी की जंग जीत ली

locationकटिहारPublished: Apr 07, 2020 06:07:35 pm

Submitted by:

Yogendra Yogi

जब सामने अंधकार हो और ( Story of 3 friends ) बचने को कोई ( Win the battle of life ) रास्ता नजर नहीं आए तो फिर चाहे मंजिल कैसी भी दुर्गम हो उस पर चलने का खतरा उठाने वालों को ही सफलता मिलती है। यह दास्तां हैं ऐसे तीन युवकों की ( They cyclied 1382 km ) जिनके सामने यक्ष प्रश्न यह था कि तिल-तिल करके भूखे मरें या फिर जीवन को बचाने के लिए 1 हजार 382 किलोमीटर लंबी और दुर्गम राह चुने।

यह तीन दोस्ती की ऐसी दास्तान है, जिन्होंने जिंदगी की जंग जीत ली

यह तीन दोस्ती की ऐसी दास्तान है, जिन्होंने जिंदगी की जंग जीत ली

कटिहार(बिहार): जब सामने अंधकार हो और ( Story of 3 friends ) बचने को कोई ( Win the battle of life ) रास्ता नजर नहीं आए तो फिर चाहे मंजिल कैसी भी दुर्गम हो उस पर चलने का खतरा उठाने वालों को ही सफलता मिलती है। जिन्दगी की कुछ ऐसी ही सफलता इन तीन युवकों को मिली। इस सफलता के बदले में मिला जिन्दगी जीने का अवसर और परिवार जनों का प्यार। यह दास्तां हैं ऐसे तीन युवकों की ( They cyclied 1382 km ) जिनके सामने यक्ष प्रश्न यह था कि तिल-तिल करके भूखे मरें या फिर जीवन को बचाने के लिए 1 हजार 382 किलोमीटर लंबी और दुर्गम राह चुने। इन्होंने दुगर्म राह चुनी और आखिरकार इनका यह निर्णय यही साबित हुआ। इन्हें मंजिल भी मिली और परिवार भी।

लॉकडाउन में दिल्ली में फंसे
कटिहार के ढेरा पंचायत के रहने वाले सूजन कुमार मंडल, रवि शर्मा और झारखंड के प्रभाष मंडल गए तो दिल्ली में मजदूरी करने पर वहां जान के लाले पड़ गए। देशभर में लॉकडाउन के बाद तीनों दिल्ली में फंस गए। दिल्ली में तीनों पांच सौ रुपए रोज के हिसाब से दिहाड़ी पर काम करते थे। लॉक डाउन के बाद तीनों के पास तीन-तीन हजार रुपए बचे थे। इनमें से एक-एक हजार मकान मालिक ने वसूल लिए। हालात भूखों मरने की आने लगी। बचा हुआ रुपया भी खर्च होने लगा। बाहर निकले तो पुलिस के डंडों का डर और पाबंदी।

मानवीयता का परिचय
ऐसे में तीनों ने निर्णय लिया कि बचे हुए रुपयों से साइकिल खरीद कर घर जाया जाए। तीनों ने 4 हजार 500 रुपए में तीन साइकिल खरीद ली। इसके बाद साइकिल पर जरुरी सामान बांध कर बिहार के लिए रवाना हो गए। तीनों ने निर्णय तो कर लिया पर सफर चुनौती भरा था। रास्ते में खाने-पीने का सामान खत्म हो गया। उत्तर प्रदेश में दाखिल होने के बाद जरुर कुछ राहत मिली। कुछ मददगारों ने मानवीयता का परिचय देते हुए न सिर्फ तीनों को खाना खिलाया बल्कि रास्ते के लिए सौ-सौ रुपए भी दिए। इसके बाद आगे का सफर का शुरु किया। रात होते ही सड़क किनारे नींद पूरी करके, सवेरा होने पर फिर मंजिल की तरफ बढ़ चलते।

साइकिल से नापी 1382 किलोमीटर की दूरी
तीनों ने साइकिल से दिल्ली से कटिहार तक की 1 हजार 382 किलोमीटर की यह दूरी छह दिनों में पूरी की। बिहार की सीमा में प्रवेश करने के बाद लगा कि मौत को मात देकर आ गए हैं। सीमा पर उनकी जांच के बाद ही प्रवेश मिल सका। कटिहार जिले में प्रवेश करने के बाद तीनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, लगा जैसे दुनिया की दौलत जीत ली हो। यहां से तीनों हसनगंज पहुंचे। तीनों श्रमिक दोस्तों को पीएचसी ले जाया गया। कोरोना जांच के लिए तीनों को होम क्वारेंटाइन के तहत १४ दिन तक घर पर रहना होगा।

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