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एमपी के इस जिले में जीवनरक्षक वेंटीलेंटर में, ये हैं हालात

locationकटनीPublished: Jan 20, 2018 10:07:33 am

Submitted by:

balmeek pandey

बगैर जीवन रक्षक उपकरण कें दौड़ रहीं १०८

108 ambulances do not have necessary equipment

108 ambulances do not have necessary equipment

कटनी. चिकित्सा महकमे का अहम अंग बन चुकीं 108 एम्बुलेंस जिले में दम तोड़ती नजर आ रही है। जीवन रक्षक वाहनों को संजीवनी बूटी (आवश्यक उपकरण) की दरकार है। जिले में चल रहे १०८ वाहनों में नियमों का पालन नहीं हो रहा। १०८ में न तो पूरे जीवन रक्षक उपकरण हैं और न दवाइयां। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर माह लाखों रूपए का भुगतान किया जा रहा है। कई एम्बुलेंसों के जीवन रक्षक उपकरण खराब व नदारद हैं। ये हाल सिर्फ किसी एक एंबुलेंस का नहीं बल्कि आधा दर्जन से अधिक का है। जिले में १०८ एंबुलेंसों का संचालन करने वाली जिगित्सा एजेंसी का दावा है कि जिले में १२ एंबुलेंस हैं, जिसमें से १० रन कर रही हैं। सीएमएचओ का कहना है कि सिर्फ ८ ही वर्किंग में हैं। ४ की स्थिति भगवान भरोसे है। हैरानी की बात तो यह है कि सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाएं हाईटेक की गई हैं, लेकिन जिले के लोग १०८ में मिलने वाली सुविधाओं से महरूम हैं। 108 एम्बुलेंस में जीवन रक्षक उपकरण के रूप में ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम, नेबुलाइजर, पल्स ऑक्सीमीटर, सेक्शन मशीन, बीपी स्टूमेंट (मैनुअल व ऑटोमेटिक) जैसे करीब 14 प्रकार के उपकरण उपलब्ध होने चाहिए। लेकिन किसी न किसी वाहन में कुछ न कुछ समस्या बनी हुई है।

यहां की गाडिय़ां ज्यादा खराब
– कुठला
– रीठी
– माधवनगर
– बरही
– ढीमरखेड़ा

१०८ एंबुलेंस को लेकर खास-खास
– समय पर नहीं हो रही एंबुलेंस वाहनों की सर्विसिंग।
– वाहनों के चालन की समय पर नहीं हो रहीं रिपोर्टिंग।
– ३० डॉक्टर और ३० पॉयलट कर रहे हैं काम।
– डॉक्टर और पायलट में प्रतिमाह खर्च हो रहे ४ लाख रुपए।
– महीने भर में ८४ हजार किलोमीटर से अधिक करती हैं रन।
– वाहनों को प्रति माह लगभग १५ लाख रुपए हो रहा भुगतान।
– सुधार कार्य में जाने के कारण खड़ी हो जाती हैं २-३ एंबुलेंस।
– दो १०८ एंबुलेंस एक माह से पड़ी हैं खराब, नहीं हुआ सुधार।
– स्लीमनाबाद-बिलहरी के लोगों को नहीं मिल रहा १०८ का लाभ।
– ४ वाहन खस्ता हालत में हैं, जिन्हें किया जाना है नीलाम।

१०८ में ये उपकरण जरुरी
– जीवन रक्षक दवाईयां
– बीपी अपार्ट्स
– पल्स ऑक्सीमीटर
– थर्मामीटर
– स्थेपो स्कोप
– फायर एग्जक्यूटर
– स्ट्रेचर
– व्हीलचेयर
– वेंटीलेटर
– ऑक्सीजन सिलेंडर
– वॉस बेसिन
– ग्लूकोमीटर
– अंबू बैग

यह आ रही समस्या
एक्सीडेंट, अचानक बिपरीत हुए स्वास्थ्य, हार्ट अटैक, प्रसव पीड़ा सहित अन्य बीमारियों में सीरियस पेसेंट को जल्दी उपचार मिल सके इसके लिए लोग १०८ को कॉल करते हैं। डॉ. के मुताबिक इस परिस्थिति में मरीज को शीघ्र उपचार व तत्कालीक ट्रीटमेंट की जरुरत होती है। इसी लिहाज के १०८ की परिकल्पना की गई है। लेकिन यदि वाहन में पर्याप्त स्टूमेंट न हों तो मरीज की जान खतरे में पड़ सकती है।

जरुरी उपकरण इतने वाहनों में नहीं
– बीपी अपार्ट्स ३ एंबुलेंस
– पल्स ऑक्सीमीटर ४ एंबुलेंस
– थर्मामीटर ३ एंबुलेंस
– स्थेपो स्कोप ५ एंबुलेंस
– फायर एग्जक्यूटर ३ एंबुलेंस
– स्ट्रेचर ४ एंबुलेंस
– व्हीलचेयर ८ एंबुलेंस
– वेंटीलेटर ४ एंबुलेंस
– ऑक्सीजन सिलेंडर २ एंबुलेंस
– वॉस बेसिन ६ एंबुलेंस
– ग्लूकोमीटर ५ एंबुलेंस
– अंबू बैग २ एंबुलेंस

इनका कहना है
जिले में १०८ वाहनों के परिचालन की स्थिति ठीक नहीं है। अधिकांश वाहनों में पर्याप्त स्टूमेंट नहीं हैं। रिपोर्टिंग भी नहीं हो रही। इसके लिए मिशन संचालक को अवगत कराया गया है।
डॉ. अशोक अवधिया, सीएमएचओ।

जिले में १२-१०८ एंबुलेंस वाहन हैं। १० चालू हालत में हैं। २-३ मेंटेनेंस में चली जाती हैं। कुछ वाहन ऐसे हैं जिसमें पर्याप्त उपकरण नहीं हैं। शीघ्र ही उनमें व्यवस्था कराई जाएगी।
डॉ. संजीव शर्मा, १०८ एंबुलेंस प्रभारी।

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