कटनीPublished: May 22, 2019 11:22:42 am
raghavendra chaturvedi
पत्रिका अभियान: बेहतर हो आंगनबाड़ी तो बच्चों का लगे मन, खिलौने करें दान
1712 आंगनबाड़ी में 1 लाख 32 हजार बच्चे, सुविधाओं की कमी से होती है परेशानी
कटनी. छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए जिलेभर में संचालित आंगनबाड़ी भवन को सुविधाओं की दरकार है। ज्यादातर आंगनबाड़ी बालमन अनुरुप विकसित नहीं है। माना जा रहा है कि इससे इन आंगनबाड़ी में जाने वाले बच्चों का मन नहीं लगता है। पालक बच्चों को आंगनबाड़ी छोडऩे जाते हैं तो बच्चे रोने भी लगते हैं।
जिलेभर में संचालित 1712 आंगनबाड़ी में एक लाख 32 हजार 137 बच्चों का नाम दर्ज है। इसमें 59 हजार 772 बच्चे ऐसे हैं जिनकी उम्र 6 माह से 3 वर्ष के बीच है। ये बच्चे सप्ताह में एक दिन प्रत्येक मंगलवार को आंगनबाड़ी जाते हैं। शेष 72 हजार 365 बच्चे प्रतिदिन आंगनबाड़ी जाते हैं। ये ऐसे बच्चे हैं जिनकी उम्र 3 से 6 वर्ष के बीच है। पालकों का कहना है कि आंगनबाड़ी में सुविधाओं का विस्तार हो तो बच्चों का मन लगेगा, और पालक भी किसी निजी संस्थान के बजाए आंगनबाड़ी में बच्चों को भेजेंगे।
ऐसे कई परिवार हैं, जिनके घरों में बच्चों के बड़े होते ही खिलौने अनुपयोगी हो जाते हैं। पालक उन खिलौनों को आंगनबाड़ी में दान करें तो छोटे बच्चों के लिए ये खिलौने उपयोगी साबित होंगे। ऐसे पालक जिनके बच्चे बड़े हो गए हैं, उनको समझाइस दी जाएगी कि वे खिलौने आंगनबाड़ी में दान करें। जिससे बच्चों का आंगनबाड़ी में मन लगे।
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला परियोजना अधिकारी नयन सिंह ने बताया कि कटनी जिला मुख्यालय में पीडब्ल्यूडी कॉलोनी स्थित आंगनबाड़ी क्रमांक 155 और 218 मॉडल हैं। चरणबद्ध कार्यक्रम चलाकर जिलेभर के आंगनबाड़ी को इसी तरह बनाया जाएगा। 20 जून तक जिले की 7 ब्लॉक इकाइयों में से प्रत्येक से 2-2 आंगनबाड़ी को सुविधायुक्त बनाने की तैयारी है।
इसके बाद 5-5 आंगनबाड़ी लेंगे। बाउंड्रीवाल युक्त आंगनबाड़ी क्रमांक 218 कम खर्च में सुंदर बनाने के मामले में मिसान है। यहां खराब पानी की बोतल, वाहनों के टायर और सीमेंट की बोरियों का उपयोग कर उसमें पेंटिंग आकर्षक बनाया गया है। आंगनबाड़ी चयन के लिए सीडीपीओ को निर्देश दिए हैं। पहले चरण में उन आंगनबाडिय़ों का चयन किया जाएगा कि जहां कार्यकर्ता और सहायिका ज्यादा एक्टिव हैं।
जबलपुर कमिश्नर राजेश बहुगुणा ने मंगलवार को कटनी स्थित आंगनबाड़ी 218 को देखा और कहा कि आंगनबाड़ी की साज-सज्जा, संचालन और बाल सुलभ वातावरण किसी भी प्राइवेट क्रेस (शिशुगृह) से बेहतर है।
कलेक्टर डॉ. पंकज जैन बताते हैं कि जिले की सभी आंगनबाड़ी को छोटे बच्चों की इच्छा अनुरुप बेहतर बनाया जाने की तैयारी है। विद्युत कनेक्शन, नल कनेक्शन और अन्य मूलभूत सुविधाओं को जुटाकर इन्हें और बेहतर बनाया जाएगा।