कटनीPublished: May 15, 2019 08:51:33 am
raghavendra chaturvedi
जीएसटी लागू होने से पहले का मामला, अब मूल्यांकन की तैयारी में वाणिज्यकर विभाग
GSTs seized for fraud, summons to eight traders in bhilwara
राघवेंद्र चतुर्वेदी @ कटनी. जिले में दो हजार से ज्यादा व्यापारी-फर्मों ने वैट समाप्त होने के दौरान अंतिम तिमाही का टैक्स जमा किया न ही वाणिज्यकर विभाग पहुंचकर मूल्यांकन करवाया। ऐसे प्रकरणों की संख्या लगभग 3495 है। खासबात यह है कि इन प्रकरणों में करोड़ों रुपये का लेन-देन समाहित है। समय पर मूल्यांकन नहीं होने से बतौर टैक्स सरकार को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। यह पूरा मामला जुलाई 2017 में गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (जीएसटी) लागू होने से पहले का है। साल 2017 में अप्रैल से जून के बीच प्रथम तिमाही में हुए लेन-देन की जानकारी वाणिज्य कर विभाग (स्टेट जीएसटी कार्यालय) को देना जरूरी किया गया था।
जीएसटी लागू होने से पहले वैल्यू एडेट टैक्स (वैट), प्रवेश कर और केंद्रीयकर संबंधी मामलों के लिए लेन-देन का मूल्यांकन करवाकर एसजीएसटी विभाग को देनी थी। जानकारों का कहना है कि जीएसटी लागू होने के बाद व्यापारियों ने पूर्व में लागू टैक्स का पालन किया या नहीं। इस बात की जानकारी विभाग को भी नहीं दी।
जीएसटी लागू होने से व्यापारी-फर्मों के लिए अनिवार्य किया गया था कि वैट, प्रवेशकर व केंद्रीयकर संबंधी लेन-देन का हिसाब कर बकाया टैक्स जमा करनी थी। बताया जा रहा है कि जिन व्यापारियों ने मूल्यांकन नहीं करवाया है। उनको अब फार्म भरकर जानकारी देनी होगी। उनके लेन-देन का हिसाब कर टैक्स पेंडिंग है तो बकाया राशि जमा करवाकर प्रकरण खत्म होगा।
वाणिज्य कर विभाग वृत्त एक के राजेंद्र मर्सकोले और वृत्त दो के उमेश त्रिपाठी ने बताया कि दोनों वृत्त मिलाकर पेंडिंग केस 3495 है। ऐसे प्रकरणों का निराकरण अब डीम्ड कर निर्धारण योजना से होगा। 8 मार्च को जारी इस नोटिफिकेशन में 90 दिन का समय दिया गया है। इसमें पेंडिंग केस का निराकरण 30 जून तक करना है। इस बीच जिन प्रकरणों का निराकरण नहीं होगा, उन मामलों में स्पॉट पर पहुंचकर मूल्यांकन किया जाएगा। संबंधित फर्मों को नोटिस जारी किया गया है।