scriptकुपोषण से दूर हों बच्चे तो स्वस्थ हो बचपन: इस जिले में अब भी साढ़े 22 हजार बच्चे कुपोषण का शिकार, तीन हजार को गंभीर संक्रमण | 22 thousand children malnourished in Katni district | Patrika News

कुपोषण से दूर हों बच्चे तो स्वस्थ हो बचपन: इस जिले में अब भी साढ़े 22 हजार बच्चे कुपोषण का शिकार, तीन हजार को गंभीर संक्रमण

locationकटनीPublished: Jul 04, 2019 11:43:53 am

Submitted by:

balmeek pandey

– पोषण पुनर्वास केंद्र, आंगनवाडिय़ों में बच्चों के लिए पौष्टिक आहार की उपलब्धता, गर्भवती माताओं के लिए पोषण आहार सहित अन्य गतिविधियां जिले में चल रही हैं, बावजूद इसके कुपोषण रूपी दानव जिले में कम होने का नाम नहीं ले रहा।
– अभी भी जिले में साढ़े 24 हजार के ऊपर बच्चे कुपोषण का दंश झेल रहे हैं। 10 जून से जिले में दस्तक अभियान भी चल रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में बच्चे संक्रमण का शिकार मिल रहे हैं। एनआरसी केंद्रों में कुपोषित बच्चों की भी संख्या बढ़ गई है।
– स्थिति यहां तक आ बनी है कि 138 फीसदी केंद्र फुल चल रहे हैं। क्षमता से अधिक बच्चे पोषण पुनर्वास केंद्र में पहुंचे हैं, जिनको सुपोषित करने का अभियान चल रहा है, लेकिन केंद्रों में स्थान की कमी और बच्चों की संख्या अधिक होने के कारण एकसाथ सुपोषित करना संभव नहीं हो पा रहा।

22 thousand children malnourished in Katni district

22 thousand children malnourished in Katni district

कटनी. पोषण पुनर्वास केंद्र, आंगनवाडिय़ों में बच्चों के लिए पौष्टिक आहार की उपलब्धता, गर्भवती माताओं के लिए पोषण आहार सहित अन्य गतिविधियां जिले में चल रही हैं, बावजूद इसके कुपोषण रूपी दानव जिले में कम होने का नाम नहीं ले रहा। अभी भी जिले में साढ़े 24 हजार के ऊपर बच्चे कुपोषण का दंश झेल रहे हैं। 10 जून से जिले में दस्तक अभियान भी चल रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में बच्चे संक्रमण का शिकार मिल रहे हैं। एनआरसी केंद्रों में कुपोषित बच्चों की भी संख्या बढ़ गई है। स्थिति यहां तक आ बनी है कि 138 फीसदी केंद्र फुल चल रहे हैं। क्षमता से अधिक बच्चे पोषण पुनर्वास केंद्र में पहुंचे हैं, जिनको सुपोषित करने का अभियान चल रहा है, लेकिन केंद्रों में स्थान की कमी और बच्चों की संख्या अधिक होने के कारण एकसाथ सुपोषित करना संभव नहीं हो पा रहा। इसके लिए जरुरी है कि प्रशासनिक पहल के साथ सामाजिक साझेदारी बढ़े तो बच्चों का कुपोषण दूर हो और वे स्वस्थ जिंदगी के साथ इस जहां में सांस ले सकें।

 

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यह है कुपोषण की स्थिति
महिला एवं बाल विकास के आंकड़ों पर नजर डालें तो अब भी कुपोषण भयावह है। जिले में 0 से 5 वर्ष तक के एक लाख 15 हजार 267 बच्चे दर्ज हैं। एक लाख 14 हजार 765 बच्चों का वजन कराया गया है। जिसमें से सामान्य वजन के 90 हजार 139 बच्चे मिले हैं। वहीं कम वजन याने की कुपोषण जकड़े बच्चों की संख्या 21 हजार 642 है। वहीं अति कम वजन वाले बच्चे 2 हजार 976 हैं। सबसे ज्यादा कुपोषण बड़वारा, रीठी विजयराघवगढ़ और ढीमरखेड़ा क्षेत्र में है।

यह है स्थिति
परियोजना बच्चे कम वजन अति कम वजन
बड़वारा 19941 3806 470
बहोरीबंद 18569 2237 243
ढीमरखेड़ा 15827 3577 507
कटनी 16465 2300 355
मुड़वारा 13308 3210 475
रीठी 12423 2049 481
विगढ़ 18747 4463 445
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योग- 115267 21642 2976।
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योजनाएं भी नहीं दूर कर पा रहीं कुपोषण
कुपोषण को दूर करने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग स्वास्थ्य विभाग के समन्वय से पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसटी) केंद्र चलाए जा रहे हैं, जिनमें सालान लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं, इसके बाद भी स्थिति नहीं सुधर रही। कुपोषित बच्चे के माता-पिता उनको विधि-नियोजना से जोडऩे का काम किया जा रहा है। बीपीएल कार्ड नहीं बना है तो उनको बनवाना, प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रसाधन की सुविधा का लाभ दिलाने, अतिकम वजन के बच्चों को थर्ड मील आदि दिया जा रहा है, इसके बाद भी स्थिति नहीं सुधर रही।

 

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इनका कहना है
कुपोषण को दूर करने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। अभी दस्तक अभियान में स्क्रीन हुए बच्चों को भर्ती कराया जा रहा है। इस दिशा में विशेष तैयारी कर कुपोषण को दूर करने प्रयास किया जाएगा।
नयन सिंह, जिला परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग।

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