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बंगाल की खाड़ी में बनने वाले साइकलॉन ने कराया कटनी का नुकसान, इसलिए 315 मिमी कम बारिश

locationकटनीPublished: Oct 03, 2020 09:09:16 am

Submitted by:

balmeek pandey

315.8 मिमी कम बारिश के साथ विदा हुआ मानसून, 30 साल की औसत बारिश में 21 फीसदी कम बारिश, बंगाल की खाड़ी में साइकलॉन न बनने से हुआ नुकसान, किसानों को रखनी होगी सावधानी

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315 mm less rain in Katni district

कटनी. पिछले कुछ वर्षों से जिले का मानसून सिस्टम बिगड़ सा गया है। पहले समय पर बारिश न शुरू होना और फिर खंड वर्षा के कारण न सिर्फ किसानों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है बल्कि गर्मी शुरू होने के पहले ही पेयजल समस्या के लिए त्राहि-त्राहि मचने लगती है। इस साल भी मानसून बारिश का कोटा पूरा किए बिना विदा हो गया है। जिला भू-अभिलेख के मुताबिक इस साल मानसून 315.8 मिलीमीटर कम बारिश कराए ही विदा हो गया है। इस साल पिछले साल से भी कम बारिश हुई है। इससे लोगों को और ज्यादा चिंता है। कटनी जिले में कम बारिश होने का कारण बार-बार सिस्टम कमजोर पडऩा व जलवायु परिवर्तन भी एक कारण माना जा रहा है। मौसम वैज्ञानिक संदीप कुमार चंद्रवंशी के अनुसार राजस्थान से विदाई चालू हो गई है। कटनी में अब बारिश की कोई संभावना नहीं है। अब यदि बारिश होती है तो वह लोकल सिस्टम में ही होगी। पांच दिनों तक अभी बारिश की कोई संभावना नहीं है। 30 साल के औसत बारिश में इस साल 21 प्रतिशत कम बारिश हुई है। कटनी में बारिश बंगाल की खाड़ी में बनने वाले साइकलॉन के कारण होती है। इस साल अच्छे दो ही तूफान बने हैं, इससे कम बारिश हुई है। शेष तूफान अरब सागर में बने हैं। मध्य और उत्तरी भाग में बारिश कम दर्ज की गई है। दक्षिण-पश्चिम भाग में ज्यादा बारिश हुई है।

यह है बारिश की स्थिति
जिले की औसत वर्षा 1124.4 मिलीमीटर है। 1 अक्टूबर तक जिले में कुल 808.6 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है। सबसे ज्यादा कटनी व सबसे कम बारिश विजयराघवगढ़ तहसील में हुई है। वहीं पिछले वर्ष जिले में 1147.5 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी। मानसून के विदा होते ही मौसम में बदलाव आया है। सुबह-शाम ठंडक तो दोपहर में तेज गर्मी का अहसास हो रहा है। गुरुवार को अधिकतम तापमान 35 डिग्री तो न्यूनतम 20 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। कटनी तहसील में 1138.8, रीठी 773, बड़वारा 717, बरही 1088, विजयराघवगढ़ 618.2, बहोरीबंद 792.3, स्लीमनाबाद 620, ढीमरखेड़ा तहसील में 722.1 मिमी वर्षा हुई है।

जलवायु परिवर्तन का भी है असर
पर्यावरण के जानकार कृषि वैज्ञानिक एके शुक्ला का कहना है कि जलवायु परिवर्तन का असर मानसून पर पड़ रहा है। आबादी के हिसाब से शहर व ग्रामीण इलाकों में जिस मात्रा में हरियाली जंगल होना चाहिए वह नहीं हैं। इसका असर भी मानसून पर काफी पड़ता है। पार्यावरण संरक्षण नितांत आवश्यक है।

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