यह मामला करीब चार वर्ष पुराना है, जब मंडी शुल्क बचाने के चक्कर में फेयर फूड ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड ने सामान्य चावल को बासमती चावल बता दिया था। इस मामले की शिकायत मंडी बोर्ड भोपाल से हुई तो मंडी बोर्ड ने एक जांच टीम गठित कर कृषि उपज मंडी कटनी भेजा। जांच के दौरान फेयर फूड ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड की कारगुजारी उजागर हुई। इस मामले में मंडी के स्थानीय अफसरों पर मिलीभगत के भी आरोप लगे। मंडी शुल्क और निराश्रित शुल्क के मामले में मंडी बोर्ड भोपाल ने फेयर फूड ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड 42 लाख रुपए की रिकवरी का नोटिस दिया। इसके बाद फेयर फूड ने न्यायालय में याचिका दाखिल की जिस पर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने मंडी बोर्ड की कार्रवाई पर स्थगन आदेश दे दिया।
इसके बाद मंडी बोर्ड भोपाल ने पुनर्विचार याचिका दायर की जिस पर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सिंगल बेंच के स्थगनादेश को हटा दिया। इस प्रकरण में मंडी बोर्ड की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ शर्मा ने पक्ष रखा, जिसमें बताया गया कि जो छूट सिर्फ बासमती चावल इकाई के लिए रखी गई है। उस छूट का फायदा उठाने के लिए फेयर फूड ने गलत दस्तावेज लगाए, जिसके चलते मंडी बोर्ड को नुकसान उठाना पड़ा।
कोट
मंडी शुल्क और निराश्रित शुल्क के मामले में फेयर फूड ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड को 42 लाख रुपए की रिकवरी का नोटिस पहले दिया गया था। फेयर फूड इसके विरुद्ध उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश ले आई थी। हाल ही में सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने मंडी बोर्ड की कार्रवाई को बहाल कर दिया, जिसके बाद फेयर फूड को रिकवरी का नोटिस देते हुए तीन दिन के अंदर पूरी राशि जमा करने के निर्देश दिए गए हैं।- पीयूष शर्मा, मंडी सचिव
मंडी शुल्क और निराश्रित शुल्क के मामले में फेयर फूड ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड को 42 लाख रुपए की रिकवरी का नोटिस पहले दिया गया था। फेयर फूड इसके विरुद्ध उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश ले आई थी। हाल ही में सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने मंडी बोर्ड की कार्रवाई को बहाल कर दिया, जिसके बाद फेयर फूड को रिकवरी का नोटिस देते हुए तीन दिन के अंदर पूरी राशि जमा करने के निर्देश दिए गए हैं।- पीयूष शर्मा, मंडी सचिव