संसाधनों की स्थिति यह है कि पिड्रियाट्रिक इंटेंसिव केयर (पीआइसी) बाल चिकित्सा गहन देखभाल की तैयारी पत्राचार तक ही सीमित है। चिकित्सकों के अन्य पद भी जरूरत अनुरूप नहीं है। दूसरी ओर ग्रामीण अंचलों में चिकित्सा के हालात और बदतर हैं। किसी भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बच्चों के इलाज के लिए अलग से व्यवस्था नहीं है।
कोरोना के तीसरी लहर के बीच आशंका जताई जा रही है कि बच्चों में संक्रमण फैला तो एक हजार बच्चों को बेड की जरूरत पड़ सकती है। इसमें अधिकांश बच्चों को ऑक्सीजन सर्पोटेड बेड और आइसीयू की भी जरूरत पडऩे की आशंका जताई जा रही है।
सीएमएचओ डॉ. प्रदीप मुढिय़ा बताते हैं कि जिला अस्पताल में आइसीयू बेड बढ़ाने की तैयारी शुरू हो गई है। पीआइसी के लिए पत्र लिखे हैं। स्वीकृति मिलते ही दस बेड का पीआइसी चालू होगा। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में दस-दस बेड ऑक्सीजन सर्पोटेड होंगे। जरूरत पडऩे पर बच्चों को इन्ही में इलाज की सुविधा मिलेगी। बच्चों के लिए अलग से उनके साइज का लॉजिस्टिक मटेरियल का स्टॉक रख रहे हैं।
फैक्ट फाइल
– 10 बेड का एससीएनयू वार्ड है जिला चिकित्सालय में जहां नवजात शिशुओं की देखभाल की जाती है।
– 10 बेड का बच्चा वार्ड है। इमरजेंसी के लिए पीआइसी यूनिट और विशेषज्ञ चिकित्सकों की जरूरत पड़ेगी।
– सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमीं है। आयुष डॉक्टरों से इलाज की तैयारी है।