कटनी में सदस्यों के दो पद दो साल से खाली हैं। समय पर मामलों की सुनवाई नहीं होने में सदस्यों की नियुक्ति नहीं होना भी है। नियुक्ति राज्य आयोग से होनी है। खासबात यह है कि कई मामलों मेंं फोरम से फैसले के बाद भी उपभोक्ता को राहत नहीं मिलती। यहां से होने वाले फैसलों में पांच से छह प्रतिशत मामलों की अपील उपरी न्यायालयों में होती है।
लंबित मामलों में नजर डालें तो वर्ष 2016 में 20, 17 में 78, 18 में 52, 19 में 254 और 2020 में अब तक 117 मामले लंबित हैं।
कोरोना काल में 60 मामलों का हुआ निराकरण
फोरम द्वारा कम सदस्य संख्या के बाद भी उपभोक्ताओं से जुड़े मामलों को निपटाने में कोरोना संक्रमण की भी परवाह नहीं की। यहां कोरोना संकट काल में 60 से ज्यादा मामलों का निराकरण किया गया। कटनी में बतौर सदस्य उमरिया के इंद्रजीत गौतम मामलों को देखते हैं। जो कि डेढ़ साल से कटनी आ रहे हैं।
औसतन चार माह लग रहे प्रकरणों के निराकरण में
जानकारों का कहना है कि उपभोक्ता फोरम में प्रकरणों के निराकरण में औसतन चार माह का समय लग रहा है। उपभोक्ताओं का कहना है कि फोरम में खाली पदों को समय रहते भरा जाए, जिससे उन्हे न्याय मिलने में सहूलियत हो।