script73 thousand metric tonnes of wheat spoiled | 69 करोड़ का 73 हजार मैट्रिक टन गेहूं खराब, मानव स्वास्थ्य के लिए घातक | Patrika News

69 करोड़ का 73 हजार मैट्रिक टन गेहूं खराब, मानव स्वास्थ्य के लिए घातक

locationकटनीPublished: Jul 25, 2023 10:06:36 pm

Submitted by:

balmeek pandey

कीड़ा लगने से बर्बाद हो रहा गेहूं, केजी चौदहा, उबरा व विजयराघवगढ़ वेयर हाउस में सबसे ज्यादा खराब हुआ अनाज

69 करोड़ का 73 हजार मैट्रिक टन गेहूं खराब, मानव स्वास्थ्य के लिए घातक
69 करोड़ का 73 हजार मैट्रिक टन गेहूं खराब, मानव स्वास्थ्य के लिए घातक

कटनी. शासकीय उचित मूल्य की दुकान (पीडीएस) के माध्यम से गरीबों को बटने वाले गेहूं की सुरक्षा को लेकर जिले में बड़ी बेपरवाही सामने आई है। जिम्मेदार विभाग गरीबों के निवाले को सुरक्षित नहीं रख पाए हैं। अब आलम यह है कि दिन प्रतिदिन गेहूं कीड़ा लगने के कारण बर्बाद हो रहा है। कुछ जगह पर तो आटा में तब्दील हो गया है। जानकारी के अनुसार जिले के वेयर हाउसों में भंडारित 73 हजार 261 मैट्रिक टन गेहंू खराब हो गया है। कीड़े (पाई) लगने के कारण गेहूं आटा बन रहा है। 2019-20 से लेकर पिछले साल तक का गेहूं भंडारित है।
जानकारी के अनुसार खराब हुए गेहूं की कीमत 68 करोड़ 90 लाख 66 हजार 250 रुपए है। सुरक्षा और संरक्षा में 20 करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो चुके हैं वह अलग। सरकार से लाखों रुपए किराया लेने के बाद भी अनाज की सुरक्षा न तो वेयर हाउस मालिकों ने की और ना ही जिम्मेदार विभाग वेयर हाउस प्रबंधन, नागरिक आपूर्ति निगम, जिला प्रशासन करा पाया। समय पर फ्यूमीगेशन व उठाव न होने के कारण यह स्थिति बनी है। इससे सरकार को करोड़ों रुपए के आर्थिक नुकसान हो रहा है। जिम्मेदार विभाग भी मामले को दबाने में जुटे हुए हैं।

यह है खराब गेहूं की स्थिति (मैट्रिक टन में)
वर्ष भंडारण मूल्य
2019-20 17354 31931600
2020-21 25288 48679400
2021-22 21294 420556500
2022-23 9325 187898750

इन वेयर हाउसों में ज्यादा खराब
जानकारी के अनुसार जिले के आधा दर्जन से अधिक वेयर हाउसों में गेहूं खराब हुआ है। तीन वेयर हाउसों में रखा गेहूं सबसे अधिक मात्रा में खराब हुआ है। शहर के पुरैनी स्थित केजी चौदहा वेयर हाउस, बरही क्षेत्र के उबरा वेयर हाउस, विजयराघवगढ़ वेयर हाउस सहित श्रीनिवास, श्रीजी, श्रीनाथ, श्याम्भवी, मोहन, डीएम, ओम साईंराम वेयर हाउस में सर्वाधिक भंडारित गेहूं खराब हो चुका है, लेकिन उसकी न तो अबतक गुणवत्ता ठीक कराई गई और ना ही उठाव कराया गया।

नान ने नहीं कराया उठाव
जानकारी के अनुसार समय रहते नागरिक आपूर्ति निगम के द्वारा गेहंू का उठाव नहीं कराया गया। पहले उठाव नहीं कराया गया फिर कीड़ा लगने के कारण समय पर फ्यूमीगेशन व साफ न कराए जाने के कारण गेहूं खराब होता चला गया और पांच साल बाद भी उसका उठाव न होने से वह उपयोग लायक नहीं बचा है। नागरिक आपूर्ति निगम को वेयर हाउस प्रबंधन द्वारा पुराने वित्तीय वर्ष का माल उठवाने के लिए कई बार पत्राचार किया गया है। समय पर उठाव न होने से गुणवत्ता ह्रास भी हो रहा है, नान न तो माल उठवा रही है और ना ही पत्राचार का कोई जवाब दे रहा।

सुरक्षा पर भी सवाल
हैरानी की बात तो यह है कि वेयर हाउस मालिकों के द्वारा भी अनाज की सुरक्षा पर ध्यान नहीं रखा गया। सरकार द्वारा वेयर हाउस मालिकों को 2019-20 में 55 रुपए, 2020-21 में 62 रुपए, 2021-22 में 85 रुपए, वर्तमान में 67 रुपए प्रति मैट्रिक टन का भुगतान किया जा रहा है, बावजूद इसके गरीबों के निवाले को संभालकर नहीं रखा गया।

भंडारण में दे रहे करोड़ों रुपए किराया
जिलेभर की गोदामों में भंडारित गेहूं जो खराब हो चुका है उनके भंडारण व सुरक्षा में 20 करोड़ रुपए से अधिक फंूके जा चुके हैं। सरकार ने अककेले गोदाम मालिकों को अबतक 13 करोड़ 39 हजार 978 रुपए का भुगतान कर चुकी है। 2019-20 के भंडारित गेहूं में अबतक तीन करोड़ 81 लाख 7 हजार 880 रुपए से अधिक का भुगतान, 2020-21 के भंडारित गेहूं में गोदामों का किराया 4 करोड़ 70 लाख 3 हजार 568 रुपए से अधिक, 2021-22 में भंडारित गेहूं में 3 करोड़ 61 लाख 9 हजार 980 रुपए से अधिक का भुगतान किया गया है। इसके अलावा 2022-23 में खरीदे गए गेहूं के भंडारण का साढ़े 12 लाख 49 हजार 550 रुपए से अधिक दिए जा चुके हैं। कुछ वेयर हाउसों में दो माह से किराया का भुगतान अटका है।

मार्च 22 में एफसीआइ ने भी कर दिया है रिजेक्ट
जानकारी के अनुसार मार्च 2020 में एफसीआइ की जांच टीम ने भी गेहूं को अमानक बताया है। उसे मानव स्वास्थ्य के लिए घातक बताया है। जबकि गोदाम मालिकों का तर्क है कि उसी साल भंडारित अनाज को या दूसरे साल नहीं उठवाया जाता, जिससे ऐसी स्थिति बनती है। उठाव के दौरान जो अनाज गिरता है उसके लिए समय पर बारदाना नहीं मिलते, उठाव भी नहीं होता।

वर्जन
नागरिक आपूर्ति निगम को नियमित रूप से 2020 से समय पर गेहूं का उठाव के लिए पत्राचार किया जा रहा है। 75 हजार मैट्रिक टन से अधिक गेहूं पुराने वित्तीय वर्षों का भंडारित है। समय पर उठान न होने से गेहूं की गुणवत्ता खराब हो रही है।
वायएस सेंगर, डीएम वेयर हाउस प्रबंधन।

गोदामों में गेहूं की सुरक्षा नहीं हो पाई, जिससे वह खराब हुआ है। मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होने के कारण गेहूं का उठाव नहीं कराया गया। कुछ गोदामों में डीसीसी की भी प्रक्रिया हो चुकी है।

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