नसीब हुआ तो सिर्फ पुलिस का दिया कफन...जिसमें लिपटकर पहुंच गए श्मशान और कब्रिस्तान। ये कहानी एक-दो नहीं बल्कि कई ऐसे लोगों की है जिन्होंने स्टेशन पर ही दम तोड़ा है। कटनी जीआरपी पुलिस ने दो वर्षों में ऐसे 19 लोगों का कफन-दफन किया है, जिनकी पहचान अब तक अज्ञात शव के रूप में ही हो सकी है।
जानकारी के अनुसार वर्ष 2021 में कटनी जीआरपी थाना में 64 मर्ग दर्ज किए गए हैं। मर्ग जांच में 13 लोगों की पहचान अब तक नहीं हो सकी है। इसी तरह वर्ष 2022 में जून माह तक 23 मर्ग हुए हैं, जिनमें 6 लोगों की पहचान होना बाकी हैं।
ट्रेनों में बैठा देते हैं परिवार के लोग
मर्ग मामलों की जांच करने वाले रेलवे पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि ज्यादातर मृतक स्टेशन पर भीख मांगने वाले हैं। कई मानसिक विक्षिप्त हैं तो कईयों को परिवार द्वारा छोड़ दिया गया है। कई भिखारी ऐसे भी सामने आए जो स्थानीय बोली से परिचित नहीं थे। सभवत: उनकी मानसिक स्थिति ठीक न होने पर परिवार के सदस्यों द्वारा ही उन्हें ट्रेन में बैठा दिया गया और भेज दिया गया।
अज्ञात शवों की विसरा रिपोर्ट नहीं मंगवाती पुलिस
पुलिस इन लोगों में से ज्यादातर की मौत का वास्तविक कारण जानने का प्रयास भी नहीं करती। यही कारण है कि पुलिस अमूमन अज्ञात शवों की विसरा रिपोर्ट नहीं मंगवाती। विसरा रिपोर्ट किसी की मौत का असल कारण जानने के लिए होती है। पुलिस पोस्टमार्टम के दौरान डॉक्टर की ओर से बताए गए मौत के प्राथमिक कारण को ही सही मानते हुए मामला दर्ज कर लेती है और फिर बाद में न्यायालय के जरिए अंतिम रिपोर्ट (एफआर) दे देती है।
स्टेशन पर बिताई अनाम जिंदगी, नसीब हुई गुमनाम मौत
अज्ञात शव मिलने के प्रकरणों में शव का पोस्टमार्टम करवाकर 2-3 दिनों तक सुरक्षित रखा जाता है। शव की फोटो सभी थानों व संभावित स्थानों पर भेजकर पतासाजी के प्रयास किए जाते हैं। जानकारी न मिलने पर कफन-दफन की प्रक्रिया पूरी की जाती है। इसके बाद 6-7 माह तक हमारी ओर से प्रयास होते हैं कि मृतक की निशाख्त की जा सके। ज्यादातर अज्ञात मामले में स्टेशन व आसपास के एरिया में भिखारियों की संख्या ही है।
-बलराम यादव, थाना प्रभारी, जीआरपी
फैक्ट फाइलवर्ष | मौत | अज्ञात |
2021 | 64 | 13 |
2022 | 23 | 06 |