औद्योगिक मानचित्र में जिले को नई पहचान मिलेगी। उद्योग क्षेत्र में विकास और विस्तार की नई संभावनाएं बनेंगी। एसीसी की इस डील को लेकर जितनी चर्चा है, उतनी ही रोचक कंपनी के कैमोर में सीमेंट कारखाने की स्थापना की कहानी है। बताया जाता है कि जिस जगह पर कैमोर में सीमेंट प्लांट और उसकी बस्ती है, वहां पर घना जंगल था। जंगल के दुर्गम रास्ते से होकर पहुंचे लोगों ने चुनौतियों का सामना करते हुए उस वक्त के इस बड़े सीमेंट कारखाने की नींव रखी थी। तब इसे सेंट्रल प्रोविजन पोर्टलैंड सीमेंट कंपनी लिमिटेड नाम से पहचाना जाता था। इसका स्वामित्व ट्रस्टी फॉर द डिवेंचर होल्डर्स कैमोर सेम, झुकेही के हाथों में था।
रेल लाइन बिछाने आए थे, सीमेंट कंपनी से जुड़ गए
एसीसी से लंबे समय से जुड़े कैमोर निवासी कांट्रेक्टर राजेश राठौर बताते हैं कि गुजरात से उनके दादा नानजी हरिदास 1923-24 के दौरान कटनी आए थे। तब कटनी-झुकेही रेलवे लाइन बन रही थी। इसमें दादा कांट्रेक्टर थे। इसी दौरान कैमोर में सीमेंट कारखाना बन रहा था। इसमें दादा को कुछ कार्यों के कॉन्ट्रैक्ट मिले। वह कैमोर में ही रहकर काम करने लगे। दादा से सुना है कि अभी जहां पर सीमेंट कारखाना है, वहां घना जंगल था। वे और कारखाना निर्माण से जुड़े अन्य लोग तब कटनी से कैमोर तक तांगा (घोड़ा गाड़ी) से जाते थे। पक्का रास्ता नहीं था। जंगल के पेड़ों में लाल झंडी बंधी रहती थी। इसे देखकर रास्ता तय करते थे।
तब मंदिर और स्कूल बनवाए
बकौल राजेश सीमेंट कारखाना स्थापना के समय क्षेत्र सेंट्रल प्रोविजंस स्टेट (स्वतंत्रता से पूर्व) का भाग था। उस समय कारखाने के निर्माण संबंधी कार्यों में प्रमुख रूप से चार कांट्रेक्टर सक्रिय थे। इसमें नानजी हरिदास, मुड़वारा के हरिप्रसाद पाठक, कैमोर के ठाकुर प्रताप सिंह और छहरी के राम मनोहर परोहा शामिल थे। उस समय फैक्ट्री से जुड़े कर्मचारियों और मजदूरों के बच्चों की पढ़ाई के लिए कैमोर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के भवन निर्माण में नानजी ने अहम भूमिका निभाई। मुरलीधर मंदिर की स्थापना और अन्य मूलभूत सुविधाओं को भी तत्कालीन ठेकेदारों ने कंपनियों के साथ मिलकर जुटाया था।
अमहेटा में क्लिंकर प्लांट
कैमोर एसीसी अब एक नया सीमेंट प्लांट स्थापित कर रही है। अमहेटा में बन रहा यह क्लिंकर सीमेंट प्लांट है। इस पर वर्ष 2020 से काम चल रहा है। इसके अलावा एसीसी के जिले में पावर प्लांट और लाइमस्टोन की खदानें हैं।
मजदूर से लेकर अधिकारी तक की एक जैसी यूनिफॉर्म
देश की सबसे पुरानी सीमेंट कारखाने में एक बड़ा बदलाव लाफार्ज-होलसिम के विलय के साथ आया। कर्मचारियों और अधिकारियों के अलग-अलग ड्रेस कोड समाप्त कर दिए गए। एकरुपता के लिए सीमेंट कंपनी के मजदूर से लेकर उच्चाधिकारी (प्लांट डायरेक्टर) तक की यूनिफॉर्म एक जैसी अनिवार्य कर दी गई।
100 एकड़ क्षेत्र में कंपनी का अमहेटा में नया सीमेंट प्लांट निर्माणाधीन
3 मिलियन मेट्रिक टन सीमेंट उत्पादन क्षमता इस नए प्लांट की होगी
100 साल पुरानी है कैमोर में स्थापित सीमेंट फैक्ट्री
3 मिलियन मेट्रिक टन सीमेंट का सालाना इस फैक्ट्री में उत्पादन
15 वर्षों से फैक्ट्री का विदेशी कंपनी संचालन कर रही है
कैमोर में सीमेंट कंपनी का सफरनामा
वर्ष 1923 के पहले सीमेंट कारखाना स्थापित। तब यह द सेंट्रल प्रोविजन पोर्टलैंड सीमेंट कंपनी लिमिटेड (सीपीपीसी) हुआ करती थी।
वर्ष 1936 में सीपीपीसी सहित तत्कालीन 10 सीमेंट कंपनियों का विलय कर नई कंपनी (एसोसिएटेड सीमेंट कंपनी) बनाई गई।
वर्ष 1999 तक एसीसी से टाटा समूह जुड़ा हुआ था। सीमेंट कंपनी के शेयर में 7.2 प्रतिशत का स्टेक टाटा समूह का था।
वर्ष 2006 में कंपनी का नाम एसोसिएटेड सीमेंट कंपनी से बदलकर एसीसी किया गया। यह कंपनी का शार्ट फॉर्म है।
वर्ष 2007 में एसीसी का अधिग्रहण होलसिम कंपनी ने कर लिया। इसकी प्रक्रिया वर्ष 2005 से शुरू हो गई थी।
वर्ष 2015 में लाफार्ज और होलसिम के विलय के बाद एसीसी की पैरंट कंपनी लाफार्ज होलसिम बन गई।
वर्ष 2021 में स्विट्जरलैंड की लाफार्ज होलसिम ने अपना नाम बदल लिया। यह होलसिम समूह हो गया।
कैमोर और जिले की नई पहचान
कैमोर निवासी अधिवक्ता ब्रम्हमूर्ति तिवारी कहते हैं सीमेंट कंपनी का स्वामित्व बदल कर स्वदेशी हाथ में आ रहा है। यह सुखद है। नए समूह के स्वामित्व में सीमेंट कंपनी का तेजी से विस्तार होगा। कैमोर और जिला उद्योग क्षेत्र में नई पहचान बनाएगा। नई इकाइयों के स्थापना और रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे।
ग्राम कोइलिया था कैमोर
जानकारों के अनुसार सीमेंट कारखाना बनने के बाद जिस जगह को कैमोर के नाम से पहचान मिली वह पहले ग्राम कोइलिया कहलाता था। आज भी राजस्व रिकॉर्ड में ग्राम कोइलिया का उल्लेख मिलता है।
एसीसी को टेकओवर करने की घोषणा
एशिया के सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी की कंपनी ने एसीसी को टेकओवर करने की घोषणा की है। देश में इंफ्रा मैटेरियल स्पेस में इस सबसे बड़े अधिग्रहण को लेकर कटनी जिला भी चर्चा में है। कैमोर में एसीसी का एक बेहद पुराना और बड़ा सीमेंट कारखाना है। एसीसी की प्रमुख इकाइयों में से एक कैमोर का कारखाना इतना पुराना है कि जब इसका निर्माण हुआ, तब इस क्षेत्र में घना जंगल था। कारखाना निर्माण के लिए आने वाले कंपनी के प्रतिनिधि, कांट्रेक्टर पेड़ों पर लगे लाल झंडे के निशान के सहारे जंगल की उबड़-खाबड़ जमीन पर तांगा (घोड़ा गाड़ी) पर सवार होकर कटनी से कैमोर तक पहुंचते थे।