एक्सपर्ट कमेंट:
लीवर, किडनी व कैंसर की बीमारी का हो सकते है शिकार
शासकीय तिलक कॉलेज की बॉयोटेक्नाजी विभाग की डॉ. नेहा जैन ने बताया कि पॉलीथिन का कैमेकिल नाम है (पॉलीएथलीन)। यह दो टाइप की होती है। निम्न व उच्च घनत्व वाली। उन्होंने बताया कि उच्च घनत्व की पालीथिन का सर्वाधिक उपयोग खिलौने, पाइप, कैरीबैग, डिस्पोजल गिलास बनाने में होता है। इसकी स्ट्रेंथ को बढ़ाने के लिए बिसफिनालए नामक रासायन मिलाया जाता है। जो कंटेनर में रखे हुए पेय पदार्थ के साथ घुल जाता है और शारीरिक बीमारियों को पैदा करता है। इसमें लीवर, किडनी व कैंसर की बामारी का लोग शिकार हो सकते है। दोनों प्रकार की पॉलीथिन अजैवनिम्मनी प्रकृति (नानबायो डिग्रीडेवल) होती है। यदि इसे डंप किया जाएगा तो सैकड़ों साल के बाद भी खत्म नही होती है। इसे रिसाइकिल करके दूसरे प्लास्टिक प्रोडक्ट को बनाया जा सकता है। इसके अलावा कई और प्लास्टिक है जैसे पॉलीस्टायरिन, पॉली कार्बोनेट, टैरीलीन, नायलोन आदि भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे है।
इनका कहना है
पॉलीथिन का इस्तेमाल करने वालों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। चाय दुकानों में बिकने वाली पॉलीथिन व उससे बनी हुई सामग्री पर भी प्रतिबंध लगाया जाएगा।
एचके तिवारी, प्रदूषण विभाग।