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कटनी

अमानक होने पर भी धड़ल्ले से हो रहा पॉलीथिन का उपयोग

चाय दुकानों में पन्नी व डिस्पोजल में भरकर बेची जा रही चाय, रोक लगाने की जगह प्रदूषण विभाग, नगर निगम व नगर परिषदों के जिम्मेदार दे रखे हैं खुली छूट

कटनीJan 31, 2019 / 11:20 am

dharmendra pandey

Polyethylene

Polyethylene

कटनी. स्वास्थ्य व पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा रही पॉलीथिन व उससे बनी सामग्री का जिलेभर में धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। सबसे ज्यादा इस्तेमाल चाय दुकानों में किया जा रहा है। यहां पन्नी से बने डिस्पोजलों में चाय भरकर बेची जा रही है। एक्सपर्ट भी मान चुके हैं इसका नुकसान मानव स्वास्थ्य पर पड़ता है। इधर पॉलीथीन का उपयोग किराने व दूसरी दुकानों में हो रहा है। नागरिकों का कहना है कि सांठगांठ की वजह से पॉलीथिन मुक्त शहर बनाने का सपना अधूरा रह गया। उल्लेखनीय है कि पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुचाने वाली पॉलीथिन के इस्तेमाल पर एनजीटी कोर्ट ने प्रतिबंध लगा दिया है। लगभग दो साल पहले एनजीटी कोर्ट द्वारा पन्नी के उपयोग पर लगाया गया प्रतिबंध का असर जिले में दिखाई नहीं दे रहा है।
प्रदूषण विभाग व नगर निगम, नगर परिषद को मिलकर करना है कार्रवाई
जिले को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए पॉलीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई प्रदूषण विभाग, नगर निगम व नगर परिषद विजयराघवगढ़, कैमोर व बरही के जिम्मेदारों को मिलकर करना है, लेकिन व्यापारियों से सांठगांठ होने की कारण जिम्मेदारों द्वारा लापरवाही बरती जाती है। लगातार कार्रवाई करने के वजाय दिखावे के लिए सालभर में एक या दो बार ही कार्रवाई की जाती है।

एक्सपर्ट कमेंट:
लीवर, किडनी व कैंसर की बीमारी का हो सकते है शिकार
शासकीय तिलक कॉलेज की बॉयोटेक्नाजी विभाग की डॉ. नेहा जैन ने बताया कि पॉलीथिन का कैमेकिल नाम है (पॉलीएथलीन)। यह दो टाइप की होती है। निम्न व उच्च घनत्व वाली। उन्होंने बताया कि उच्च घनत्व की पालीथिन का सर्वाधिक उपयोग खिलौने, पाइप, कैरीबैग, डिस्पोजल गिलास बनाने में होता है। इसकी स्ट्रेंथ को बढ़ाने के लिए बिसफिनालए नामक रासायन मिलाया जाता है। जो कंटेनर में रखे हुए पेय पदार्थ के साथ घुल जाता है और शारीरिक बीमारियों को पैदा करता है। इसमें लीवर, किडनी व कैंसर की बामारी का लोग शिकार हो सकते है। दोनों प्रकार की पॉलीथिन अजैवनिम्मनी प्रकृति (नानबायो डिग्रीडेवल) होती है। यदि इसे डंप किया जाएगा तो सैकड़ों साल के बाद भी खत्म नही होती है। इसे रिसाइकिल करके दूसरे प्लास्टिक प्रोडक्ट को बनाया जा सकता है। इसके अलावा कई और प्लास्टिक है जैसे पॉलीस्टायरिन, पॉली कार्बोनेट, टैरीलीन, नायलोन आदि भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे है।


इनका कहना है
पॉलीथिन का इस्तेमाल करने वालों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। चाय दुकानों में बिकने वाली पॉलीथिन व उससे बनी हुई सामग्री पर भी प्रतिबंध लगाया जाएगा।
एचके तिवारी, प्रदूषण विभाग।

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