कटनी

अनुबंध के बाद मिलिंग में मनमानी, 61 करोड़ की धान पर मंडरा रहा मिलिंग का संकट

मानकों का पालन कर समर्थन मूल्य पर खरीदी के बाद भी धान की गुणवत्ता पर सवाल उठाते रहे हैं कुछ मिलर्स.

कटनीJun 18, 2021 / 10:47 pm

raghavendra chaturvedi

धान खरीदी के बाद मिलिंग की धीमी रफ्तार के कारण धान ज्यादा समय ओपन कैप मेंं रखना पड़ा। कटनी जिले के अलग-अलग ओपन कैप में 1 लाख 70 हजार मिट्रिक टन धान का भंडारित है।

कटनी. किसानों की कड़ी मेहनत से धान की फसल तैयार करने और उसे समर्थन मूल्य पर सरकारी धान खरीदी केंद्रों में बिक्री के बाद समय पर मिलिंग नहीं होने से अकेले कटनी में 61 करोड़ रूपये से ज्यादा की धान पर अब मिलिंग का संकट मंडरा रहा है। बताया रहा है कि धान की मिलिंग को लेकर अनुबंध करने के बाद भी चुनिंदा मिलर्स ने मनमानी की। समय पर मिलिंग नहीं किया। इस बीच तत्कॉलीन जिम्मेदार अफसर जरुरी प्रावधानों का पालन करवाने में बेपरवाह रहे। इसी का नतीजा रहा है कि करोड़ों की धान पर अब मिलिंग का संकट मंडरा रहा है।

हालांकि मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कार्पोरेशन (नान) के अफसर मिलिंग के लिए एक बार फिर से टेंडर निकालने की बात कह रहे हैं, लेकिन वे इस बात से भी इंकार नहीं कर रहे हैं कि मिलिंग के टेंडर नहीं डालने के लिए गठजोड़ बनाकर आवेदन नहीं करने की रणनीति अपनाई जा रही है।

19 लाख रुपये से ज्यादा राशि धान की सुरक्षा के लिए किराए पर खर्च-
वित्तीय वर्ष 2019-20 में 2 लाख 58 हजार मिट्रिक टन धान की खरीदी के बाद मिलिंग के लिए अनुबंध हुआ। इसमें 34 हजार मिट्रिक टन धान का उठाव मिलिंग के लिए नहीं हुआ। जानकर ताज्जुब होगा कि नान के अफसर दो साल से धान की इस मात्रा की मिलिंग के लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अब मिलर्स सामने नहीं आए। इसमें प्रति मिट्रिक टन प्रति माह 2 रुपये चालीस पैसे किराया भी नान को भंडारण एजेंसी को वहन करना पड़ रहा है। इसमें हर माह 81 हजार 6 सौ रुपये व्यय हो रहा है। दो साल में 19 लाख 80 हजार रुपये से ज्यादा राशि बतौर किराया ही व्यय हो चुका है।

केंद्र सरकार ने 31 मार्च तक दिया था समय-
दो साल पहले समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान की मिलिंग के लिए केंद्र सरकार ने 31 मार्च तक की डेडलाइन तय की थी। जानकार बताते हैं कि इस मामले में मिलर्स सरकार का सहयोग करने मेें लगातार हाथ खींच रहे हैं और यह समय सीमा भी पूरी हो गई। बताया जा रहा है कि सरकार पर दबाव बनाने के लिए चुनिंदा स्पॉट में कुछ खराब धान का उदाहरण देकर भंडारित धान की पूरी मात्रा को खराब बताकर मिलिंग के लिए नहीं उठाने की बात कही जा रही है।

मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कार्पोरेशन के जिला प्रबंधक मधुर खर्द बताते हैं कि 61 करोड़ 20 लाख रुपये से ज्यादा की 34 हजार मिट्रिक टन धान की मिलिंग नहीं हो पा रही है। इसके लिए पूर्व में कई बार टेंडर निकाला गया। प्रदेश के अलावा दूसरे प्रदेश के मिलर्स ने भी रुचि नहीं दिखाई। फिर से टेंडर निकालकर धान को मिलिंग के उठाव करवाने की तैयारी है।

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