सबसे पहले पत्रिका ने किया था खुलासा
जरवाही सोसायटी में किसानों के नाम पर फर्जी तरीके से कर्ज स्वीकृत कर देने के मामले का सबसे पहले पत्रिका ने खुलासा किया था। 22 जनवरी को प्रकाशित खबर के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया था। कलेक्टर ने गड़बड़ी की जांच कराई और एफआइआर दर्ज करने के निर्देश दिए।
ऐसे सामने आई गड़बड़ी
विधानसभा चुनाव के दौरान के कांग्रेस ने वचन पत्र में 2 लाख रुपये तक का किसानों का कर्जा माफ करने की घोषणा की थी। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जय किसान फसल ऋण माफी योजना लागू की। योजना में सोसायटी से लोन लेने वाले किसानों की सूची गांव में चस्पा की गई, तब किसानों को पता चला कि उनके द्वारा ऋण नहीं लेने पर भी सूची में नाम है। जरवाही सोसायटी से कर्ज लेने वाले कई ऐसे किसानों के नाम भी सूची में रहा। इस पूरे मामले को लेकर पत्रिका में प्रमुखता से खबर प्रकाशित हुई। तत्कालीन कलेक्टर केवीएस चौधरी ने मामले की जांच कराई। जरवाही सोसायटी में पदस्थ सहायक प्रबंधक लक्ष्मीकांत दुबे की गड़बड़ी सामने आने के बाद माधवनगर थाना प्रभारी को रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए थे। रिपोर्ट दर्ज करने के बाद पुलिस ने मामले को जांच में लिया। 35 किसानों से पूछताछ की। जिसमें लगभग 6 से 7 करोड़ रुपये की गड़बड़ी की बात सामने आई।
-जरवाही सोसायटी के सहायक प्रबंधक ने बुधवार को जिला न्यायालय में सरेंडर कर दिया है। पूछताछ के लिए तीन दिन की रिमांड पर लिया गया है। सहायक प्रबंधक पिछले 8 माह से फरार चल रहा था।
संजय दुबे, माधवनगर थाना प्रभारी।
-बुधवार को सहायक समिति प्रबंधक ने कोर्ट में सरेडर कर दिया है। पूछताछ के लिए माधवनगर पुलिस ने तीन दिन की रिमांड मांगी थी, जो मंजूर हो गई है।
संजय पटेल, एडीपीओ।