सिविल लाइन गल्र्स स्कूल में बारिश में टपकता है कमरों से पानी, पुराने भवन से हादसे का खतरा
कटनी। एक ओर सरकार बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने करोड़ों रुपए खर्च कर रही है तो दूसरी ओर प्रशासन की अनदेखी से उनको मिलने वाली सुविधाएं स्कूलों से नदारत हैं। ऐसी ही स्थिति शहर के शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक स्कूल सिविल लाइन की है। जहां का पुराना भवन जर्जर हो चुका है और बारिश में कमरों से पानी टपकता है। पिछले वर्ष तत्कालीन कलेक्टर ने भी भवन का निरीक्षण किया था और जर्जर भवन को गिराने का प्रस्ताव तैयार करने को कहा था। उसके बाद भी आज तक भवन को गिराने का कार्य नहीं किया गया है। जिससे लाड़लियों के सिर पर खतरा मंडरा रहा है।
स्कूल परिसर में ही प्राइमरी, मिडिल सहित हायर सेकंडरी तक की छात्राएं अध्ययन करती हैं। स्कूल दो शिफ्ट में संचालित किया जा रहा है, जिसमें लगभग 15 सौ छात्राएं अध्ययन कर रही हैं। छात्राओं ने बताया कि स्कूल के सभी कमरे काफी पुराने और जर्जर हैं। जिनमें बारिश के दौरान जगह-जगह से पानी टपकता है। जिसके चलते पढ़ाई के समय अधिकांश छात्राएं सुरक्षित स्थान खोजतीं फिरतीं हैं और पढ़ाई भी प्रभावित होती है।
शिक्षकों ने बताया कि लगातार बारिश के दौरान जर्जर भवन के गिरने का भी खतरा बना हुआ है। उन्होंने बताया कि एक सप्ताह पूर्व लगातार हुई बारिश के दौरान जहां छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हुई तो डर के कारण छात्राएं स्कूल आने से भी कतराती रहीं। ऐसी ही स्थिति पूरे बारिश के दौरान बनती है। उन्होंने बताया कि स्कूल के जिन कमरों की स्थिति अधिक खराब है, बारिश के समय उनसे छात्राओं को निकालकर दूसरी कक्षाओं में बैठाना पड़ता है। शिक्षकों का कहना है कि ऊपर के कमरों से नीचे आने वाली सीढिय़ों भी हिलती हैं।
शिक्षकों ने बताया कि 16 जून 2015 को तत्कालीन कलेक्टर विकास नरवाल, महापौर शशांक श्रीवास्तव सहित अन्य अधिकारी प्रवेशोत्सव कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। उस दौरान स्कूल की जर्जर स्थिति को उनके सामने रखा गया था। जिसपर कलेक्टर ने बिल्डिंग का निरीक्षण कर जर्जर भवनों को गिराने का प्रस्ताव तैयार कराने के निर्देश दिए। शिक्षकों का कहना है कि निरीक्षण के बाद भवन को गिराने का प्रस्ताव भी तैयार किया जा चुका है लेकिन आजतक जर्जर भवन को गिराया नहीं जा सका है, जिससे छात्राओं पर खतरा बना है और नवीन भवन भी बनाने की स्थिति नहीं बन पा रही है। इस संबंध में प्राचार्य समिधा त्रिपाठी का कहना है कि स्कूल का पुराना भवन जर्जर हो चुका है। जिससे दुर्घटना की आशंका बारिश में बनी हुई है। जिसकी जानकारी अधिकारियों को भेजी गई है। अभी तक स्कूल की पुरानी बिल्डिंग को गिराने के निर्देश नहीं मिले हैं।