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गजब हैं ये मधुमक्खियां: 300 बॉक्स में 2 किसानों को महज पांच माह में 12 लाख की आमदनी, कमाल की है शिमलामिर्च, टमाटर व पपीता की अंतरवर्ती खेती

locationकटनीPublished: Feb 23, 2020 01:44:58 pm

Submitted by:

balmeek pandey

हम तो पतझड़ में भी बहार ले आएंगे, हम गहरी उदासी में भी प्रेम ले आएंगे, तेरी दोस्ती की कसम दोस्त, तू आवाज दे हम खेती को भी लाभ का धंधा बनाएंगे…। यह कर दिखा रहे हैं बहारीबंद तहसील क्षेत्र के ग्राम तेवरी में दो किसान दोस्त। हम बात कर रहे हैं तेवरी निवासी किसान पुरषोत्तम सिंह ठाकुर और अशोक कुमार की। एक जो लंबे अर्से से खेती में आयाम स्थापित कर रहे हैं और दूसरे लाखों की नौकरी छोड़ खेती से समृद्धि की राह पर आगे बढ़े रहे हैं।

Beekeeping and unique recurring farming

Beekeeping and unique recurring farming

बालमीक पांडेय @ कटनी. हम तो पतझड़ में भी बहार ले आएंगे, हम गहरी उदासी में भी प्रेम ले आएंगे, तेरी दोस्ती की कसम दोस्त, तू आवाज दे हम खेती को भी लाभ का धंधा बनाएंगे…। यह कर दिखा रहे हैं बहारीबंद तहसील क्षेत्र के ग्राम तेवरी में दो किसान दोस्त। हम बात कर रहे हैं तेवरी निवासी किसान पुरषोत्तम सिंह ठाकुर और अशोक कुमार की। एक जो लंबे अर्से से खेती में आयाम स्थापित कर रहे हैं और दूसरे लाखों की नौकरी छोड़ खेती से समृद्धि की राह पर आगे बढ़े रहे हैं। दोनों किसान मिलकर मधुमक्खी पालन से व खेती कर लाखों रुपये कमा रहे हैं। ये किसानों के लिए मिसाल हैं। किसानों ने 300 बॉक्सों में मधुमक्खी पालन किया है। मधु मक्खियां माइग्रेशन के तहत बाराबंकी उत्तरप्रदेश गई हैं। जहां पर सरसों के फूल से शहद निकाला जा रहा है। 6 टन शहद का उत्पादन हुआ जो तीन सौ रुपये प्रति किलोग्राम का बिक रहा है। जिससे 18 लाख रुपये शहद से किसानों को मुनाफा होगा। अभी तक 12 लाख रुपये की आमदनी हो चुकी है। अक्टूबर से अभी तक 6 टन शहद का उत्पादन किया, जिसमें से किसान को 12 लाख रुपये का आमदनी हुई है। यह दो माह में 5 से 6 लाख रुपये की और आमदनी होगी। किसानों ने बताया कि एक बार में मात्र छह लाख रुपये खर्च यूनिट लगाने में आ रहा है। प्रति वर्ष मरम्मत के ढाई लाख खर्च करने पड़ते हैं। फरवरी माह में आखिरी सप्ताह में मुजफ्फरपुर बिहार जाएंगी यहां पर लीची का शहद तैयार किया जाएगा। अप्रैल में झारखंड जाएंगी यहां पर वन तुलसी और करंज का शहद तैयार होगा।

 

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एक साथ चार फसलों की खेती
ये दोनों किसान 40 एकड़ में खेती कर रहे हैं। 20 एकड़ जमीन सिकमी में ली है। 4 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष के हिसाब से। जिले में अंतवर्ती खेती कर मिसाल बने हैं। नीबू के पौधे 12-12 फीट के अंतराल में और दोनों के बीच में पपीता, फिर उसके बीज में 4-4 फीट में दो ड्रिप लाइन लगाकर शिमला मिर्च और गेंदा लगाया है। अलग क्षेत्र में टमाटर, गेंदा, पपीता, नींबू लगाया है। इस खेती में टमाटर, शिमला मिर्च और गेंदा के उत्पादन से भी किसानों को मुनाफा मिलना शुरू हो गया है। उद्यानिकी में आम, नींबू, आंवला, हल्दी, मिर्च, अदरक, मक्का, हल्दी के साथ साथ मिर्च और मक्का की अंतरवर्ती खेती किए हुए हैं।

 

Beekeeping and unique recurring farming
IMAGE CREDIT: balmeek pandey

नींबू और पपीता की अंतरवर्ती खेती
किसानों ने कागजी नींबू की खेती तीन एकड़ में की गई है। लो-डेन सिटी पद्धति से लगाया है। दूर-दूर पौधे लगाए हैं। ताकि अंतरवर्ती खेती कर सकें। इसके बीच में पपीता, शिमला और टमाटर व गेंदा फूल लगाया है। नींबू की खेती में प्रति एकड़ में 10 हजार रुपये लागत आई है। उद्यानिकी विभाग से पौधे मुहैया कराए गए हैं। किसानों ने नींबू की खेती दो साल पहले की है। दो साल बाद उत्पादन शुरू होगा। किसानों ने इंटरक्रॉपिंग के तहत तीन एकड़ में पपीता भी लगाया है। पौधे तैयार हो रहे हैं आठ में उत्पादन शुरू हो जाएगा। पपीता लगाने में किसानों को 10 हजार रुपये प्रति एकड़ आई है। रेडशन छोटो प्रजाति का पपीता है। प्रति पेड़ एक से डेढ़ क्विंटल का उत्पादन होगा।

 

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शिमला मिर्च से हर सप्ताह हजारों रुपये की आमदनी
किसानों ने शिमला मिर्च की खेती कर क्षेत्र के किसानों की भ्रांति मिटा दी है। किसान यह मान रहे थे कि यहां पर शिमला मिर्च की खेती नहीं होगी। किसानों ने एक एकड़ में शिमला मिर्च लगाई है। इसको लगाने में किसानों को 5 हजार रुपये प्रति एकड़ लागत आई है। यह शिमला मिर्च 1501 प्रजाति की है। एक एकड़ में प्रति सप्ताह एक क्विंटल निकल रहा है। बाजार में किसान को तीन हजार रुपये प्रति सप्ताह मिल रहे हैं। दो माह तक उत्पादन मिलता रहेगा।

 

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गेंदा से हो रही बेहतर आमदनी
किसानों ने तीन एकड़ में पुष्पराज, टेनिसबॉल गेंदा फूल की खेती की है। इसमें 20 हजार रुपये प्रति एकड़ लागत आई है। इसमें उत्पादन शुरू हो गया है। किसानों ने बताया कि प्रति पेड़ तीन किलोग्राम उत्पादन हो रहा है। 15 हजार किलोग्राम फूल निकलेगा। एक एकड़ में 6 हजार पौधे लगे हैं। इसमें किसान को तीन से चार लाख रुपये का प्रति एकड़ मुनाफा होगा।

 

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IMAGE CREDIT: balmeek pandey

आधा एकड़ टमाटर से 60 हजार का मुनाफा
किसानों ने आधा एकड़ में अंतरवर्ती खेती के तहत टमाटर की फसल भी लगाई है। किसानों ने एडवांटा का आजाद टमाटर लगाया है। आधा एकड़ में टमाटर को लगाने में 10 हजार लागत आई है। किसान प्रति सप्ताह इसमें डेढ़ क्विंटल उत्पादन ले रहे हैं। आधा एकड़ में किसानों को 60 हजार रुपये का मुनाफा मिल रहा है।

खास-खास:
– ट्रेलिस सिस्टम से किसानों ने लगाई है टमाटर की फसल।
– देव फॉर्म के नाम से शहद मार्केट में कराया जा रहा उपलब्ध।
– 4 टन लीची का शहद स्टोर करके रखे हुए हैं दोनों किसान।
– किसान पुरषोत्तम सिंह अलग से 25 एकड़ में कर रहे हैं खेती।
– अरहर और उड़द की अंतरवर्ती खेती कर बने जिले में मिसाल।
– स्वीटकॉर्न, आलू की कान्ट्रेक्टर फॉर्मिंग कर कमा रहे लाखों।
– अलसी, मसूर सरसों की इंटरक्रापिंग फसल का मनावाया लोहा।
– 8 एकड़ में आलू, 3 एकड़ में चना सहित की है अन्य खेती।

दोस्ती ने बना दिया किसान
अशोक कुमार सिंह ने बताया कि डाबर कंपनी में वे मधुमक्खी के वैज्ञानिक रहे। इस फील्ड की जानकारी थी। तेवरी के किसान पुरषोत्तम सिंह से दोस्ती हुई। कंपनी ने स्थानांतरण कर दिया तो सवा लाख रुपये प्रति माह की नौकरी छोड़कर खेती की राह चुनी। तत्कालीन उद्यानिकी अधिकारी वीरेंद्र सिंह के संपर्क में आकर खेती शुरू की और मधुमक्खियों का पालन शुरू किया और अब बेहतर उत्पादन ले रहे हैं।

 

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एग्रो क्लीकिन से किसानों की मदद
किसान न सिर्फ बेहतर खेती कर मुनाफा कमा रहे हैं बल्कि क्षेत्र के किसानों को भी उन्नत खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। तेवरी में अशोक कुमार सिंह ने एग्रो क्लीनिक खोला है। किसान बीज भंडार में किसानों को मुफ्त में व खेतों का निरीक्षण कर खेती के लिए प्रेरित करते हैं। किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन, जमीन अनुसार खेती का चयन आदि की सलाह व जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

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