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एक हजार से अधिक गरीबों के आशियाने का सपना हुआ चूर-चूर, बैंकों की कारगुजारी का ऐसे हुआ खुलासा

locationकटनीPublished: Oct 22, 2018 11:06:32 am

Submitted by:

balmeek pandey

प्रधानमंत्री आवास की राशि खाते में आते ही लोन में कटनी, अब हितग्राही काट रहे बैंक व अधिकारियों के चक्कर, अधिकारियों के पत्र पर भी बैंक नहीं कर रहे चुनवाई

कटनी. झोपड़-पट्टी…, झुग्गी झोपड़ी में रहकर जीवन यापन करने वाले जिले के हजारों जरुरतमंदों को पक्के आशियाने की आस पीएम आवास योजना से बंध गई थी, लेकिन जिले के एक हजार से अधिक ऐसे हितग्राही हैं जिनका पक्का मकान का सपना पूरा होना चूर-चूर हो गया है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि मिलने के बाद भी हितग्राही आवास नहीं बना पा रहे हैं। इसकी मुख्य वजह है इन हितग्राहियों ने पूर्व में बैंकों से जो कर्ज लिया था वह चुकाया नहीं। राशि बैंक खाते में आते ही कट गई है। ग्राम पंचायत के सचिव, रोजगार सहायक, जनपद के बीसी, जनपद सीइओ सहित जिला स्तर के अधिकारी प्रतिदिन हितग्राही के चक्कर काट रहे हैं कि वह पीएम आवास बनवा ले। हितग्राही अधिकारियों से सिर्फ यही समस्या बताते हैं कि बैंक से रुपए ही नहीं मिल रहा तो कैसे मकान बनें। कई मामलों में जब जनपद पंचायत ढीमरेखड़ा, बड़वारा, रीठी, कटनी सहित बहोरीबंद के सीइओ ने मामले का पता लगाया तो हकीकत सामने आई। एक ओर जहां हितग्राही चक्कर काटकर परेशान हैं तो वहीं पीएम आवास का टारगेट पूरा न होने के कारण अधिकारी भी पसोपेश में पड़े हुये हैं।

नियम के अनुसार नहीं काट सकते राशि
अधिकारियों की मानें तो बैंक द्वारा हितग्राही को आवास बनाने के लिए दी गई राशि नहीं काट सकते। क्योंकि यह राशि उसे बतौर जरुरतमंद हितग्राही के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए दी गई है। जबकि हर बार आयोजित होने वाली डीएलसी की बैठक में बैंकों को हितग्राहियों को दी जाने वाली राशि न काटने की बात कही जाती है, बावजूद इसके ध्यान नहीं दिया जा रहा। राशि काट लिये जाने के कारण अब हितग्राही आवास नहीं बना सकेंगे।

केस 01
बड़वारा तहसील क्षेत्र के ग्राम पंसोखर में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले जरुरतमंद सुग्रीव सिंह को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला। सूची में नाम आते ही सुग्रीव की खुशी का ठिकाना न था। लेकिन जैसी ही क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के खातें राशि तो वही लोन में कट गई। अब हितग्राही चक्कर काट रहा है।

केस 02
रीठी तहसील क्षेत्र के ग्राम सिमराड़ी में मो. कादर भी कच्चे मकान में रहकर जीवन यापन कर रहा था। प्रधानमंत्री आवास का लाभ मिलने पर पूरा परिवार खुश था, लेकिन जैसे ही हितग्राही के भारतीय स्टेट बैंक रीठी के खाते में राशि आई तो हितग्राही द्वारा पूर्व में लिये गए लोन में उसकी राशि कट गई है।

केस 03
इसी तरह का कुछ हाल ग्राम पंचायत धनिया निवासी भागीरथ चौधरी का है। भागीरथ का के आशियाने का भाग जागने की बजाय सो गया है। स्टेट बैंक के खाते में राशि आने पर राशि कट गई है। इसके लिए जनपद सीइओ प्रदीप सिंह बैंक को पत्र भी लिख चुके हैं, लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

इनका कहना है
जिले में बनने वाले आवास में से लगभग 10 से 15 प्रतिशत हितग्राही ऐसे हैं जो आवास नहीं बना रहे। जांच में यह बात सामने आ रही है कि हितग्राहियों का लोन होने के कारण बैंक में राशि आते ही वह कट गई है। बैंकों को पत्र भी लिखा गया है। हितग्राही को ही आवास बनाने के लिए मोटीवेट किया जा रहा है।
फ्रेंक नोबल ए, सीइओ जिला पंचायत।

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