कटनी

आशियाने की टकटकी में गरीबों के सात साल पार, 840 फ्लैट छह माह से तैयार होने के बाद भी इंतजार

आवास योजना के फ्लैट आवंटन में नगर निगम की अजब मनमानी, बिजली की व्यवस्था न होने के कारण गरीबों व जरुरतमंदों को नहीं मिल रहे मकानकिराये के साथ किश्त चुका रहे लोग, 2017 में जमा कर चुके हैं 20-20 हजार रुपए की डीडी

कटनीApr 14, 2024 / 08:42 pm

balmeek pandey

आशियाने की टकटकी में गरीबों के सात साल पार, 840 फ्लैट छह माह से तैयार होने के बाद भी इंतजार

कटनी. जरुरतमंदों व गरीबों के लिए 8 लाख रुपए की लागत का फ्लैट तैयार कर बैंक फाइनेंस की सुविधा देकर आशियाना मुहैया कराने वाली नगर निगम की महात्वाकांक्षी योजना को अधिकारी पलीता लगा रहे हैं। 2017 में शुरू हुई योजना में 24 माह में बिल्डिंगें तैयार कराकर आवेदन अनुसार पात्र हितग्राहियों को मकानों का आवंटन करना था, लेकिन सात साल बीत जाने के बाद व नगर निगम में 20-20 हजार रुपए की डीडी जमा करने पर भी मकान नसीब नहीं हुए। शीघ्र आसान किश्तों में पक्की छत नसीब होने व किराया के मकान से मुक्ति मिलने का सपना बेपरवाही के चलते पूरा नहीं हो पा रहा। प्रेमनगर और झिंझरी की मल्टी कई साल में भी पूरी नहीं हुईं। दोनों जगह 2018 से काम चल रहा है।
जानकारी के अनुसार एनकेजे थाना के सामने व पीछे ठेकेदार द्वारा 840 फ्लैट बना दिए गए हैं। तीन बिल्डिंग में एलॉटमेंट हो गया है। 82 परिवार के लिए आवंटन की प्रक्रिया कराई जानी है। यहां पर 35 बिल्डिंगों का निर्माण हो रहा है, जिनमें से 30 पूरी हो गई हैं, 140 मकान बनना शेष हैं। इनमें भी काम तेजी से चल रहा है। यहां पर 1056 बनने वाले एलआइजी भवन को 35 करोड़ रुपए का टेंडर निकाला गया है, जिन्हें ठेकेदार फ्लैट बनाकर बेचेगा, लेकिन यह प्रक्रिया भी धीमी चल रही है।


फ्लैट कम कर दिए, फिर भी योजना धीमी
यहां पर प्रस्तावित योजना में 1744 फ्लैट गरीबों के लिए बनने थे। इनमें से 12 ब्लॉक डिस्कोप हो गए हैं, जिनमें से 336 फ्लैट नहीं बनवाए जा रहे हैं। साथ ही एलआइजी 1056 बनने थे, सभी डिस्कोप हो गए। अब सिर्फ 1408 फ्लैट बनाकर जरुरतमंद लोगों को देना, बावजूद इसके योजना पूरी नहीं हो पा रही।


खास-खास:
– 2017 में 205 करोड़ रुपए का बना था डीपीआर, डिस्कोप के बाद 105 करोड़ का है काम।
– 9 करोड़ रुपए आ रही थी सब स्टेशन निर्माण की लागत, अनुदान न मिलने से अब सब स्टेशन से 3 करोड़ में होगी व्यवस्था।
– अस्थाई कनेक्शन लेकर लोगों को दी जाएगी बिजली, लोगों को खुद लगवाने पड़ेंगे मीटर।
– योजना शुरू होने से लेकर अबतक सिर्फ 432 फ्लैटों का हुआ है लोगों को आवंटन, वहां भी समस्याओं का अंबार।
– पहले किश्त में मिलने से फ्लैट, अब बैंक से एकमुश्त फाइनेंस कराकर नगर निगम में जमा करने पड़ रहे दो लाख रुपए।

हितग्राहियों को दोहरी मार
नगर निगम से सस्ते दर में मकान लेने वाले हितग्राहियों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। हितग्राही किराये के मकान में रहकर जीवन यापन कर रहे हैं, वहीं जिन इनमें से कई ने बैंकों से लोन पास करा लिया है। लोन लेने के बाद कई लोगों ने डीडी बनवाकर नगर निगम में रुपए जमा कर दिए हैं, अब उनकी किस्त भी चालू हो गई है। सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को लेकर कोई भी गंभीर नहीं है।


ऐसे समझें लोगों की पीड़ा

पुरानी बस्ती में किराये के मकान में रहकर मेहनत मजदूरी कर गुजारा कर रहे हैं। 2017 में नगर निगम में रुपए जमा कर चुके हैं, लेकिन अभी तक मकान नहीं मिला। अधिकारी कोई सुनवाई नहीं कर रहे।
नारायण पांडेय, हितग्राही।

दूसरे के मकान में रहकर जीवन यापन कर रहे हैं। नगर निगम में आवेदन करने के बाद डीडी जमा कर चुके थे। छह साल बाद भी मकान नहीं मिला। ननि अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे।
मोहिनी आचार्य

नगर निगम में आवेदन करने के बाद आस जगी थी कि जल्द आशियाने का सपना पूरा होगा, लेकिन फ्लैट न बनने के कारण आवंटन नहीं हो रहा, जिससे समस्या हो रही है।
सुमित रजक, हिताग्राही।

मेहनत-मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। 2017 से नगर निग में डीडी जमा है, लेकिन अबतक मकान नहीं मिला। कई बार नगर निगम के चक्कर काट चुके हैं।
अजय रजक, हितग्राही।

वर्जन
प्रेमनगर में 800 से अधिक फ्लैट बनकर तैयार हो गए हैं। बिजली के लिए नगर निगम द्वारा अभी टेम्परेरी कनेक्शन लिया जा रहा है। सब स्टेशन निर्माण के लिए 9 करोड़ रुपए की लागत आ रही है, जो नगर निगम के पास बजट नहीं है। जब खिरहनी फाटक में जो सब स्टेशन बन रहा है वहां पर लगभग 3 करोड़ रुपए की लागत से ट्रांसफार्मर बढ़वाकर लाइन की व्यवस्था कराई जाएगी। चुनाव होने व आचार संहिता खत्म होने के बाद आवंटन की प्रक्रिया कराई जाएगी।
विनोद शुक्ला, आयुक्त नगर निगम।

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