सरपंच-सचिवों का अजीबो-गरीब तर्क
ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव का अजीबो-गरीब तर्क सामने आया है। गांव में बहुत लोग ऐसे होते हैं जिनके पास जॉबकार्ड नहीं होता और वो काम करने आ जाते हैं। ऐसे में हमें उनकी मदद के लिए ऐसा करना पड़ता है। सरपंच का कहना है कि सचिव बताएंगे कि कैसे बिना सील-साइन के कम्प्यूटर ऑपरेटर को मानदेय जारी हो गया। रही बात आदित्य के बतौर कम्प्यूटर ऑपरेटर काम करने व मनरेगा में हाजिरी का तो यह सब करना पड़ता है। आदित्य के खाते में मनरेगा की हाजरी का जारी किए गए रुपये जिनके पास जॉबकार्ड नहीं होते उन्हें दिए जाते हैं। अभी तालाब निर्माण में बहुत हुआ है। कई लोग बिना जॉबकार्ड के काम किए हैं तो ऐसा करना पड़ा है।
इनका कहना है
मैं तो हिरवारा पंचायत में अतिरिक्त काम देख रहा था। सरपंच व ऑपरेटर मुझे मस्टर नहीं दिखाते थे। मैने ऑपरेटर का भुगतान किया है। डबल-डबल भुगतान कैसे हो गया, इसकी मुझे जानकारी नहीं हैं। दो जुलाई को मैं यहां से कार्यमुक्त हो गया हूं।
कृष्णकुमार पटेल, तत्कालीन सचिव हिरवारा।