रानी ने कराया विषपान
रानी चम्पावती ने अपने पति के आज्ञा को मानते हुए हरदौल को विषपान कराया और उसके बाद ही स्वयं देह त्याग दिया। तब राजा जुझार सिंह को यह अहसास हुआ कि उन्होंने व्यर्थ ही उन दोनों पे शक किया। प्रचलित कथा यह भी कहती है कि लाला हरदौल मरने के बाद भी अपनी भांजी की शादी में भात परोसने आए थे। आज भी कई प्रान्तों में लाला हरदौल पूजनीय हैं। गीत, संगीत, नृत्य से भरे इस नाटक को दर्शकों द्वारा बहुत ही पसंद किया गया। संप्रेषणा नाट्य मंच के द्वितीय सबरंग समरोह को कटनी की जनता के द्वारा बहुत पसंद किया गया।